लोगों की अंधविश्वास धीरे-धीरे हो रहा है दूर, सिरा गुनिया के अलावा पहुंच रहे हैं हॉस्पिटल
बीजापुर@रामचन्द्रम एरोला – छत्तीसगढ़ के बस्तर की भूगोलिक स्थिति पहाड़ियां जंगलों से गिरा हुआ यहां जीव जंतुओं के साथ ही सर्प जो है जहरीले कई प्रकार के पाए जाते अगर बात करें सर्प डंसने के मामलों में सबसे ज्यादा केसेस भी देखने को मिलता है बारिश के दिनों हालांकि ज्यादातर मामलें अंदरूनी क्षेत्र के लोगों का ग्रामीण बताते हैं कि लोग जमीन में सो जाते हैं जो सुरक्षित नही इसका मुख्य कारण है , दूसरा ग्रामीण क्षेत्रों में रात या दिन में बिना चप्पलों के चलने दौरान सांप के ऊपर गलती से पैर रखे जाने जिसके दौरान काटे जाते हैं। स्नेक बाइट मामले में देखा गया अंदरूनी क्षेत्रों में रहने वाले सबसे पहले सिरा गुनिया के पास चले जाते रहे हैं ऐसे कई मामले हैं इसके उदाहरण गुनिया के चक्कर में कई लोग मौत के मुंह में भी चले गए, कुछ बच गए बचे लोगों में बिना जहर के सांपों से जुड़े या उक्त सांप पहले शिकार किये शामिल। लेकिन इन दिनों लगातार बदल रहा है बस्तर की तस्वीर के साथ छत्तीसगढ़ की स्वास्थ विभाग के जागरूकता कहीं ना कहीं लोगों के मन परिवर्तन कर रहा है यही वजह है इस तरह की स्नेक बाइट की केसों में घायल पीड़ित लोग उप स्वास्थ्य केंद्रों में पहुंच रहे, स्वास्थ्य कर्मचारीयों का कहना है उप स्वास्थ्य केंद्र पहुंचने में जागरूक लोगों की मुख्य भूमिका इसमें ताकि उनके परिवार के सदस्य या पीड़ित व्यक्ति के द्वारा लाया जा रहा है। इसका उदाहरण सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र भैरमगढ़ की पिछले तीन महीनें से यहां लगातार लगभग 22 से 25 स्केन बाइट केस आए हैं। इलाज के दौरान पीड़ित व्यक्ति से अच्छी कम्युनिकेशन उन्हें विश्वास दिलाया गया कि वे स्वस्थ होंगे वहीं इसमें से कई ठीक होकर अपने घर भी चले गए। वर्तमान में वहीं कुछ ग्रामीणाें का एडमिट होने की खबर लगने पर हमारी टीम पहुंची सामुदायिक केंद्र इलाज चल रहे लोगों से जानने की कोशिश की चौथी कक्षा में पढ़ने वाली देवती कश्यप बेलनार ने बताया कि जब उन्हें सांप ने काटा उसके बाद हौस मे नही थी। कब वह एडमिट हुई है जानकारी मिला कि उनका भाई लेकर आया हॉस्पिटल। वह हमें बताते समय उसके चेहरे पर मुस्कान देकर लग रहा था मानो हो दुसरी जिन्दगी पायी, बच्ची ने कहा किसी अन्य को सांप काटने पर उन्हें बताऊंगी मै कैसी ठीक हुई हूं, वही वे पहले अपने आसपास की स्वास्थ्य केंद्र को जानकारी देते अस्पताल पहुंचे ताकि मेरी तरह हो भी ठीक हो इलाज सही समय मिले। वही दूसरा केस एक महिला जिनकी उम्र लगभग 40-50 के बीच थी, स्नेक बाइट पेशेंट थी डल्लेर की, एक ही रूम में दूसरे बेड पर थी उसे भर्ती होकर 24 घंटे ही हुए थे पर दवाईयों की असर से रिकवरी हो रही है भाषा की दिक्कत और बात करने की हालत में नहीं थी पर हमारी हर बात सुन रही थी। उनके साथ उनके पति और एक बच्चे थी उनके पति से सामने बात की उन्होंने बताया कि वे नदी पार के रहने वाले जो अतिसंवेदनशील वा अंदरूनी क्षेत्र से हॉस्पिटल लाने पर उनकी पत्नी ठीक हो रही है। आगे उनका कहना था कि पहले इसका इलाज इतना अच्छा होता में पता नहीं मितानिन वा एक अन्य के सहयोग से सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र भैरमगढ़ में भर्ती हुई है पत्नी , अब मुझे लग रहा मेरे तरह बहुत धीरे-धीरे हॉस्पिटल पहुंच रहे हैं ग्रामीण , मैं जब गांव जाऊंगा ऐसे मामले अगर होते तो मैं भी लोगों को बताऊंगा कि उन्हें सबसे पहले वे हॉस्पिटल लेकर जाए ताकि अच्छी इलाज समय पर मिल सके।
*स्नेक बाइट मामलों में खण्ड चिकित्सा अधिकारी रमेश तिग्गा भैरमगढ़ कहते हैं*
आत्मविश्वास के साथ धैर्य सबसे बड़ी हथियार है लोग स्वस्थ विभाग के प्रति जागरूक हो रहे हैं इन मामलों में सिरा गुनिया के अलावा भी पहुंच रहे हैं इलाज के लिए हॉस्पिटल । यही वजह है हमारे यहां अब तक पिछले तीन महीनों में 25-30 पेशेंट आये स्वास्थ्य होकर वापस चलें गए , दो पेशेंट की इलाज चल रही है । उन्हें देखा आप लोगों ने उनसे बात भी किया समय समय पर लोगों को करते हैं जागरूक पर आने वाले समय में इसके अलावा प्रयास विशेष रूप से किए जाएंगे। सर्पदंश मामलों में हम पहले यह निर्धारित करते हैं कि किस तरह के सांप ने उन्हें काटा ऑब्जर्वेशन में रखकर इससे क्लियर होता है जहरीला सांप है कि नहीं उसके बाद ट्रीटमेंट समय पर देते हैं ऐसे केसो में निगरानी के साथ-साथ और समय के अनुसार दवाई देना होता है। धीरे-धीरे पेशेंट की रिकवरी होता है थोड़ा समय लग सकता है पर पेशेंट सही समय पर आने पर स्वस्थ होकर वापस घर जाता है पिछले दिनों जो केस हमारे पास आए जिसमें सफल इलाज सही समय पर मिला है।