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Hathras News: हाथरस कांड में चौंकाने वाला खुलासा, बाबा के चरण की धूल नहीं… यह ‘रंगोली’ बनी 121 मौतों की असल वजह

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Hathras News: Shocking revelation in Hathras case, not the dust of Baba’s feet… this ‘rangoli’ became the real reason for 121 deaths

नई दिल्ली: यूपी के हाथरस में सत्संग में मची भगदड़ की चीख-पुकार अब भी सुनाई दे रही है. सत्संग स्थल से लेकर अस्पतालों तक मातम ही मामत पसरा है. अपनों के शवर आगे रोते-बिलखते लोग के आंसू झकझोर दे रहे हैं. हाथरस भगदड़ कांड में अब तक 121 लोगों की मौत हो चुकी है. मरने वालों में 114 महिलाएं और 7 पुरुष शामिल हैं. हाथरस कांड में मौतों की असल वजह सामने आई है. अब तक खबर थी कि भोले बाबा यानी सूरजपाल के चरण की धूल लेने के चक्कर में सबकी जान चली गई. मगर अब इन मौतों का रंगोली कनेक्शन सामने आया है. जी हां, हाथरस में लाशों के ढेर बिछने की वजह वह रंगोली है, जिसे भोले बाबा के लिए बनाया गया था.

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हाथरस भगदड़ कांड को लेकर स्थानीय पुलिस की खुफिया यूनिट को अहम जानकारी मिली है. उसके मुताबिक आरोपी भोले बाबा की रंगोली के बुरादे को लेने के चक्कर में ही इतनी मौतें हो गईं. भगदड़ मचने की वजह से हुई करीब सवा सौ मौतों के पीछे सत्संग स्थल पर बनाई गई वह ‘रंगोली’ है, जिस पर चलकर आरोपी भोला बाबा उर्फ सूरजपाल उर्फ नारायण साकार हरि को निकलना था. सत्संग वाले पंडाल से निकलने के बाद बाबा के भक्तों का हुजूम उस रंगोली की ओर उमड़ पड़ा. सत्संग में आए भक्त उस रंगोली को बाबा का आशीर्वाद मानकर दंडवत प्रणाम करने लगे और फिर रंगोली के बुरादे को अपने साथ ले जाने लगे.

कैसे रंगोली ने ली जान

इसी दौरान एक साथ हजारों की संख्या में फॉलोअर्स उस रंगोली के बुरादे को लेने के लिए दंडवत हुए. एक के बाद एक सब एक-दूसरे पर टूट पड़े. लोग ऐसे गिरे कि फिर संभलने का मौका नहीं मिला. देखते ही देखते सब लद गए. बचने को सभी इधर-उधर भागने लगे. हर कोई एक-दूसरे पर गिरता गया और देखते ही देखते लाशें बिछ गईं. ये सभी इस रंगोली के बुरादे को प्रसाद समझ अपने घर ले जाना चाहते थे. बताया गया कि सवा दो टन बुरादे से रंगोली तैयार हुई थी. इस रंगोली और उसके प्रयोजन की जानकारी स्थानीय पुलिस को भी आयोजकों ने नहीं दी थी.

भोले बाबा और रंगोली का कनेक्शन

पुलिस ने जो जानकारी इकट्ठा की है, उसके मुताबिक, हर सत्संग कार्यक्रम में नारायण साकार उर्फ भोले बाबा के रास्ते में तकरीबन 200 मीटर की रंगोली बनाई जाती है. यह रंगोली सत्संग के बाद नारायण साकार उर्फ भोले बाबा के जाने का रास्ता होता है. नारायण साकार के भक्तों में मान्यता है कि जब वह इस रंगोली से चलकर निकल जाते हैं तो यह रंगोली बेहद पुण्य हो जाती है. इस रंगोली के बुरादे को लोग दंडवत कर प्रणाम करते हैं और उसका थोड़ा हिस्सा अपने घर ले जाते हैं. बाबा के प्रति लोगों की मान्यता है कि इस बुरादे से घर में बीमारियां भी दूर होती हैं और भूत प्रेत का डर नहीं सताता है.

हाथरस कांड की होगी जांच

दरअसल,स मंगलवार को हाथरस में भगदड़ के दौरान 121 लोगों की मौत हो गई थी. उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदी पटेल के निर्देश पर योगी सरकार ने हाथरस भगदड़ की जांच के लिए बुधवार को तीन सदस्यीय न्यायिक जांच आयोग गठित की. तीन सदस्यीय न्यायिक जांच आयोग की अध्यक्षता इलाहाबाद उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्ति) ब्रजेश कुमार श्रीवास्तव करेंगे. अभी तक भोले बाबा पुलिस की गिफ्तर से बाहर है. उसने अपने वकील के जरिए खुद को बेकसूर बताया है. फिलहाल, पुलिस उसकी तलाश में जुटी है.

बाबा की चरणों की धूल लेने को उमड़ी थी भीड़

रंगोली के बुरादे को लेने के लिए एक साथ हजारों की भीड़ बाबा के चरणरज उस रंगोली को लेने के लिए दंडवत हुए और भगदड़ मच गई, फिर किसी को संभलने का मौका नहीं मिला और लोग एक के ऊपर एक गिरते चले गए और दुर्घटना हो गई। हाथरस में कल भयंकर लापरहवाही हुई और उसकी कीमत 121 लोगों को अपनी जान देककर गंवानी पड़ी। जिस वक़्त भगदड़ मची उस वक्त लोगों की चप्पलें, जूते. बिखरे हुए सामान इस बात की गवाही दे रहे हैं कि हादसा कितना दर्दनाक था। हर तरफ चीख पुकार मची थी,जगह जगह शव पड़े थे।

बरती गई थी बड़ी लापरवाही

एफआईआर के मुताबिक, मुख्य सेवादार देवप्रकाश मधुकर ने प्रशासन से सत्संग के आयोजन की परमिशन मांगी थी, जिसमें 80 हजार श्रद्धालुओं के पहुंचने की उम्मीद जताई गई थी।हालांकि बताया ये जा रहा है कि ढ़ाई लाख से ज्यादा श्रद्धालु वहां पहुंच गए। मंगलवार को दोपहर 2 बजे प्रवचन खत्म होने के बाद सूरजपाल उर्फ भोले बाबा अपनी गाड़ी में बैठकर आयोजन स्थल से बाहर निकल रहे थे, तभी उनकी एक झलक पाने के लिए हजारों श्रद्धालु दौड़ पड़े।
बाबा की गाड़ी से जो धूल उड़ी, लोग उसे समेटना शुरू कर दिए। धूल उठाने के लिए जो श्रद्धालु झुके थे, उसपर पीछे से आ रही भीड़ चढ़ गई। इसके बाद चीख पुकार मच गई। सड़क के पास करीब 3 फीट गहरा खेत है, जिसमें कीचड़ और पानी भरा था। भीड़ उधर भागी लेकिन, कीचड़ की वजह से फिसलन थी और लोग एक दूसरे पर गिरने लगे। एक दूसरे को कुचलते रहे। इस दौरान आयोजनकर्ताओं और सेवादारों ने डंडे से भीड़ को रोकने की कोशिश की, जिसकी वजह से भगदड़ मच गई। प्रशासन ने घायलों को अस्पताल पहुंचाया। लेकिन आयोजनकर्ताओं और सेवादारों ने सहयोग नहीं किया बल्कि वो सबूत मिटाने की कोशिश करते रहे।

नारायण साकार हरि कौन है, लोग क्यों उसके पीछे दीवाने हैं

नारायण साकार हरि उर्फ भोले बाबा का असली नाम सूरजपाल सिंह है। बाबा कभी पुलिस विभाग में कांस्टेबल था। लेकिन साल 1990 के आसपास नौकरी छोड़कर प्रवचन देना शुरू कर दिया। हालांकि बाबा अपने प्रवचनों में दावा करता है कि वो खुफिया विभाग में नौकरी करता था। सूरजपाल उर्फ भोले बाबा एटा के गांव बहादुर का रहने वाला है और उसके अनुयायी पश्चिमी यूपी से लेकर हरियाणा दिल्ली और राजस्थान में भी हैं। बाबा के तीन ठिकाने हैं-आगरा अलीगढ़ और राजस्थान।

बाबा ने बना रखी है खुद की आर्मी

भोले बाबा का आश्रम 30 एकड़ में है। उसने खुद की आर्मी बना रखी है। यौन शोषण समेत 5 मुकदमे दर्ज हैं। UP पुलिस में हेड कॉन्स्टेबल रहते हुए यौन शोषण का आरोप लगा तो उसे बर्खास्त कर दिया गया था। जेल भी गया। बाहर आया तो नाम और पहचान बदल ली। अनुयायी भोले बाबा उर्फ साकार विश्व हरि को परमात्मा कहते हैं, जबकि उसकी पत्नी को मां जी। हर समागम कार्यक्रम में बाबा और उसकी पत्नी शामिल होते हैं, जब बाबा नहीं होते तो पत्नी प्रवचन देती। तीन महीने से पत्नी का स्वास्थ्य खराब है, इसलिए बाबा अकेले ही प्रवचन देने जाते थे।

साजिश का हुआ खुलासा

SDM की रिपोर्ट में पूरी घटना के बारे में लिखा हुआ है, जिसमें एक और साजिश का खुलासा हुआ है। हादसे की एफआईआर में भी लापरवाही की बात सामने आई है। आयोजकों ने प्रशासन के नियमों का पालन नहीं किया। भीड़ को कंट्रोल करने का कोई प्लान, कोई इंतज़ाम नहीं था। एफआईआर में इस बात का भी जिक्र किया गया है कि हादसे के बाद आयोजकों ने सबूत मिटाने की कोशिश की। पास के खेतों में लोगों के छूटे जूते चप्पल फेंककर सबूत मिटाए गए। सत्संग में अनुमति से ज्यादा भीड़ जुटाई गई भारत में बाबाओं की स्ट्रांग क्रिमिनल हिस्ट्री है।

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