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Mirzapur 3 Review: सनक और जुनून के साथ भौकाल मचा रहे गुड्डू पंडित,मिर्जापुर सीजन 3′ रिव्यू, के दमदार प्रदर्शन से भरा नया सीजन

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Mirzapur 3 Review: Guddu Pandit is creating havoc with madness and passion, Mirzapur Season 3 Review, new season full of strong performances

‘मिर्जापुर’ का तीसरा सीजन अब अमेजन प्राइम वीडियो पर उपलब्ध है, और फैंस इसे देखने के लिए बेहद उत्साहित हैं। ट्रेलर के बाद से ही दर्शकों को ‘मिर्जापुर 3’ का इंतजार था। अगर ‘मिर्जापुर’ के पहले सीजन में आग की लपटें थीं और दूसरे सीजन में घातक घटनाएँ, तो तीसरे सीजन में जलते हुए अंगारे हैं जो कभी-कभार ही भड़कते हैं। आज यानी 5 जुलाई को ‘मिर्जापुर 3’ रिलीज हो गया है। हालांकि, सोशल मीडिया पर दर्शकों से मिली प्रतिक्रिया ठंडी रही है।

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पंकज त्रिपाठी और अली फज़ल का दमदार प्रदर्शन

‘मिर्जापुर सीजन 3’ में पंकज त्रिपाठी, अली फज़ल, विजय वर्मा, और श्वेता त्रिपाठी शर्मा समेत कई अन्य कलाकार शामिल हैं। नया सीजन उत्तर प्रदेश के अराजक शहर में सत्ता संघर्ष और बदले की प्यास पर आधारित है। फैंस बेसब्री से इसके रिलीज होने का इंतजार कर रहे थे और जैसे ही सीरीज का प्रीमियर हुआ, सोशल मीडिया पर नेटिजन्स ने अपने विचार साझा करना शुरू कर दिए।

कहानी की शुरुआत

‘मिर्जापुर 3’ की कहानी दूसरे सीजन के आखिरी घटनाक्रम से शुरू होती है। मुन्ना त्रिपाठी (दिव्येंदु) की हत्या और कालीन भैया (पंकज त्रिपाठी) को हटाकर गुड्डू पंडित (अली फज़ल) ने मिर्जापुर पर अपनी पकड़ मजबूत की है। अब वो पूर्वांचल की गद्दी पर राज करना चाहता है। हालांकि, उसके रास्ते में जौनपुर का शरद शुक्ला (अंजुम शर्मा) और कुछ अन्य बाहुबली हैं।

नई चुनौतियाँ और संघर्ष

गुड्डू भैया (अली फज़ल) और गोलू (श्वेता त्रिपाठी शर्मा) मिर्जापुर की गद्दी पर कब्जा करने के बाद अपनी नई शक्ति का आनंद ले रहे हैं। कालीन भैया अपने बेटे मुन्ना (दिव्येंदु) के खोने का शोक मना रहे हैं। गोलू शुक्ला अब पहले से अधिक आक्रामक और निर्दयी हो गई है और वह गुड्डू पंडित की राइट हैंड बनकर गैंगवार में उनका साथ देती है।
जौनपुर का बाहुबली शरद शुक्ला गुड्डू को हटाकर मिर्जापुर की गद्दी पर कब्जा करना चाहता है। इसके लिए वह मुन्ना भैया की विधवा पत्नी यूपी की मुख्यमंत्री माधुरी यादव (ईशा तलवार) को अपना साझेदार बनाता है। माधुरी यूपी से बाहुबलियों का खात्मा करना चाहती है और इसके लिए बाहुबलियों को ही अपना हथियार बनाती है।

क्यों देखें ‘मिर्जापुर 3’?

सीजन-3 में गुड्डू पंडित मिर्जापुर की गद्दी का मिजाज संभाल पाएंगे या नहीं? उनका दाहिना हाथ गोलू का मकसद पूरा होगा या नहीं? जौनपुर के माफिया शरद शुक्ला पूर्वांचल पर पर कब्जा कर अपने पापा का सपना पूरा कर पाएंगे या नहीं? मौत के मुहाने से लौट रहे कालीन भैया का भौकाल अब मिर्जापुर में बना रहेगा या नहीं? इन सभी सवालों का जवाब आपको सीजन 3 देखने के बाद ही मिलेगा।

‘मुन्ना भैया’ की अनुपस्थिति से निराश फैंस

‘मिर्जापुर 3’ में दिव्येंदु द्वारा निभाए गए प्यारे किरदार ‘मुन्ना भैया’ की अनुपस्थिति ने कई प्रशंसकों को निराश किया है। एक फैन ने लिखा, “मुन्ना त्रिपाठी मिर्जापुर को आगे बढ़ा रहे थे। उनके बिना मिर्जापुर 3 अधूरा लगता है।” एक अन्य यूजर ने दुख जताया, “सीजन 3 में बहुत कुछ गायब है। इसमें पहले और दूसरे सीजन का जादू नहीं है। इस बार मुन्ना की पूरी तरह से कमी खल रही है।”
‘मिर्जापुर 3’ में लोकप्रिय सीरीज ‘पंचायत’ के एक्टर जितेंद्र कुमार की कैमियो भी है, जो एक दिलचस्प क्रॉसओवर पेश करता है और कहानी को समृद्ध करता है। ‘मिर्जापुर 3’ में पंकज त्रिपाठी और अली फज़ल का दमदार प्रदर्शन देखने को मिलता है। कहानी में नए ट्विस्ट और टर्न्स हैं जो दर्शकों को बांधे रखते हैं। हालांकि, मुन्ना भैया की कमी फैंस को खलती है। सीजन 3 को देखने का मजा लेने के लिए इसे जरूर देखें।

मिर्जापुर 3 की कमी

यह सीरीज अपने वॉयलेंस और बाहुबल की कहानी पर चलती आई है. एनिमल जैसी फिल्म के दौर में मिर्जापुर 3 में पिछले दो सीजन की तुलना में वॉयलेंस काफी कम है. मिर्जापुर 3 की चमक वहीं कम हो गई जब इस सीरीज में मुन्ना भैया की मौत हो गई. वहीं सीजन तीन में मेकर्स ने कालीन भैया के किरदार को भी लगभग मरा हुआ ही पेश किया है. वह मिर्जापुर 3 में नजर तो आते हैं लेकिन सिर्फ ना बराबर. यह वेब सीरीज सिर्फ टिकी है तो साइड कलाकारों और गुड्डू भैया की सनक पर. एक समय के बाद मिर्जापुर 3 की कहानी इतनी बोरिंग लगने लगती है कि इसको फॉरवर्ड करके आगे देखने का मन करने लगता है.

वर्डिक्ट

मिर्जापुर 3 अपने दोनों सीजन के तुलना में काफी कमजोर है. ऐसा लगता है कि मेकर्स ने अगले सीजन के लिए सिर्फ इस सीरीज को बनाया है. क्योंकि पूरी सीरीज में सभी किरदारों को छोटा-छोटा रोल देकर उनका परिचय करवाया गया है. जिसके चलते मिर्जापुर 3 की कहानी बहुत बार भटकी हुई भी लगने लगती हैं.

डायरेक्टर: गुरमीत सिंह और आनंद अय्यर

कलाकार: पंकज त्रिपाठी, अली फजल, रसिका दुगल, श्वेता त्रिपाठी, शर्मा, राजेश तैलंग, विजय वर्मा, अंजुम शर्मा, ईशा तलवार, मनु ऋषि चड्ढा, शीबा चड्ढा, अनिल जॉर्ज, प्रियांशु पेनयुली, अनंगशा बिस्वास, मेघना मलिक, लिलिपुट, अलका अमीन

इस सीजन में क्या है अलग?

पिछले दो सीजन में गुंडागर्दी और भर-भर कर खून खराबा दिखाया था, लेकिन इस बार मेकर्स ने समझदारी से काम लिया है। इस बार भौकाल कम और कहानी पर ज्यादा काम किया गया है। अली फजल के किरदार गुड्डू पंडित को भी इस बार ताकत कम और दिमाग ज्यादा लगाते हुए दिखाया गया है। जिन लोगों को सिर्फ मारधाड़ और गुंडागर्दी पसंद है उन्हें ये सीजन शायद कम पसंद आए, लेकिन अंत में एक फाइट सीन दिखाया गया है जो धुआंदार है और पूरे सीजन में मारधाड़ की कमी को पूरा कर देता है।

इनका किरदार मजेदार

इस सीजन में औरतों का किरदार दमदार दिखाया गया है, चाहे वो गोलू हो, बीना हो, माधुरी हो या फिर रधिया और जरीना। इनके किरदार और डायलॉग सभी काफी दमदार दिखाए गए हैं। पिछले दो सीजन के मुकाबले इस सीजन में औरतों की दबदबा दिखाया गया है।

क्यों देखें?

इस बार डायलॉग के साथ-साथ डायरेक्शन, प्लॉट, एग्जीक्यूशन, कैमरे का काम सब पिछले दो सीजन की तुलना में और भी बेहतर हुआ है। इस बार खाली भौकाली नहीं दिखाई गई है बल्कि कहानी और उसे बताने के तरीके पर अधिक काम हुआ है।

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