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10 वर्षों से मानदेय वृद्धि नहीं होने के कारण स्वच्छ भारत मिशन के कर्मचारियों विकासखंड समन्वयक एवं संकुल समन्वयकों ने दिया सामुहिक त्यागपत्र

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Due to no increase in honorarium for 10 years, the employees of Swachh Bharat Mission, Block Coordinators and Cluster Coordinators submitted collective resignation

सक्ती। कर्मचारियों ने बताया कि सिर्फ राज्य वालों की और जिला वालों की मानदेय में वृद्धि की जाती है जबकि जनपद स्तर के जमीनी कार्यकर्ताओं को नजरअंदाज कर दिया जाता है।इनकी मानदेय में कभी वृद्धि नहीं किया गया। जिनके बलबूते पर छत्तीसगढ़ राज्य ने राष्ट्रीय स्तर पर तीन बार स्वच्छता पुरस्कार का जीतने का तमगा प्राप्त किया है।
विकासखंड समन्वय एवं संकुल समन्वयकों की जब भी मानदेय बढ़ने फाइल मंत्रालय जाती है तब तब कुछ ना कुछ क्युरी लिखकर मंत्रालय में बैठे उच्च अधिकारियों के द्वारा फाइल वापस कर दिया जाता है। विगत 10 साल में उनके मानदेय में ₹10 की बढ़ोतरी नहीं की गई जिससे आक्रोशित होकर जनपद स्तर पर कार्यरत विकासखंड समन्वय एवं संकुल समन्वयकों ने स्वच्छ भारत मिशन संचालक को अपना सामूहिक त्यागपत्र दे दिया है ।
इसके पहले भी कई बार मंत्रियों एवं मंत्रालय के उच्च अधिकारियों के बंगले के कई चक्कर लगाते लगाते 10 साल बीत गए मगर सिर्फ आश्वासन के सिवाय कुछ नहीं मिलता। मंत्रालय के अधिकारों के द्वारा हमेशा कुछ ना कुछ क्युरी लिखकर फाइल वापस कर दिया जाता है और फिर इस टेबल से उस टेबल इस टेबल से उस टेबल घूमते घूमते 10 साल बीत गए।

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केंद्र सरकार की अत्यंत महत्वकांक्षी योजना स्वच्छ भारत मिशन विदित हो कि देश के यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने 2 अक्टुबर 2014 को स्वच्छ भारत मिशन की शुरुआत की। जिसके सफल संचालन के लिए जिला स्तर एवं जनपद स्तर पर कर्मचारियों की नियुक्ति की गई थी। कर्मचारियों के मेहनत से पूरे छत्तीसगढ़ को वर्ष 2017 मे ही ओडीएफ घोषित भी कर लिया गया। परंतु उनकी मेहनत को नौकर शाही और सरकार ने नजरअंदाज किया।

सभी योजनाओ से कम है इन कर्मचारियों का वेतन-

सरकार द्वारा संचालित सभी योजनाओ जैसे एन आर एल एम, प्रधान मंत्री आवास योजना, मनरेगा इत्यादि की तुलना मे स्वच्छ भारत मिशन के कर्मचारियों की सैलरी 3 से 4 गुना कम है। इस योजना के कर्मचारियों ने बताया की हम लोगो को कार्य करने हेतु अत्यंत दुरस्त पंचायतों तक जाना पड़ता है 100 से 120 पंचायत का भार एक कर्मचारी पर है जिसके कारण उनके वेतन का अधिकांश भाग फिल्ड में पेट्रोल के रूप मे ही खर्च हो जाता है जिससे उनके परिवार का पालन करने में उन्हें बहुत मुश्किल होता है।

मार्ग दर्शिका मे दिये गए निर्देशों का मंत्रालय के अधिकारियों द्वारा पालन नही-

कर्मचारियों ने बताया की योजना के मार्ग दर्शिका मे स्पष्ट निर्देश है कि योजना के जिला स्तर और जनपद स्तर मे कार्यरत कर्मचारियो का वेतन एन आर एल एम योजना मे कार्यरत के कर्मचारियों के वेतन के बराबर होना चाहिए परंतु एन आर एल एम योजना के कर्मचारियो का वेतन एस बी एम के कर्मचारियो के वेतन से लगभग चार गुना अधिक है।
उप मुख्यमंत्री महोदयजी की आदेश को उनके अधिकारियों ने किया नजरअंदाज:-
कर्मचारियों ने बताया कि उनके संघ के पदाधिकारी उप मुख्यमंत्री जी से मिलकर अपने समस्याओं से अवगत कराते हुए मार्ग दर्शिका अनुरूप एन आर एल एम के बराबर वेतन करने की मांग की गई थी। जिसमे माननीय उपमुख्य मंत्री जी ने सकारात्मक पहल करते हुए उच्च अधिकारियों को एन आर एल एम के अनुरूप वेतन देने हेतु निर्देश दिये थे। परंतु अधिकारियों पर उनके निर्देशों का कोई फर्क नही पड़ा और बार बार क्युरी लिखकर वापस किया जाता है और फाइल कछुआ की चाल से इस टेबल से उस टेबल पर 2 पंचवर्षीय से घूम रही है। जिससे नाराज होकर कर्मचारी सामुहिकरूप से त्याग पत्र देने को मजबूर हुए।

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