E-rickshaw handle jammed, Durga driving the household vehicle
रायपुर, 02 अक्टूबर 2024/ कोविड-19 महामारी और पति के आकस्मिक निधन के बाद आर्थिक तंगी से जूझ रही दुर्गा साहू ने हिम्मत नहीं हारी। छत्तीसगढ़ सरकार के श्रम विभाग द्वारा संचालित दीदी ई-रिक्शा सहायता योजना ने न केवल उसकी जिंदगी बदल दी, बल्कि उन्हें आत्मनिर्भर भी बना दिया।
कोविड-19 महामारी के दौरान, जब निर्माण मज़दूरी के अवसर बंद हो गए, तब दुर्गा पूरी तरह से टूट चुकी थीं। पति की मृत्यु के बाद उनके परिवार की आर्थिक स्थिति बेहद खराब हो गई थी, लेकिन बेटे के भविष्य को ध्यान में रखते हुए दुर्गा ने हार नहीं मानी। दीदी ई-रिक्शा सहायता योजना के तहत दुर्गा ने एक ई-रिक्शा खरीदा और समाज के पूर्वाग्रहों से ऊपर उठकर महिला ई-रिक्शा चालक के रूप में नई पहचान बनाई। उसने दीदी ई-रिक्शा सहायता योजना का लाभ उठाने के लिए अपने श्रमिक पंजीयन कार्ड और बैंक ऋण स्वीकृति सहित आवश्यक दस्तावेज एकत्र किए। स्थानीय बैंक से ऋण प्राप्त करने के बाद, दुर्गा को अपना ई-रिक्शा मिला, जिसने एक आश्रित मजदूर से एक स्व-निर्मित उद्यमी बनने के लिए उसके जीवन का एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुआ।
रायपुर शहर के सड़कों में दुर्गा के ई-रिक्शे का लाल-पीला रंग उसकी पहचान बन गया है। दुर्गा अब प्रतिदिन 600-800 रुपये कमा रही हैं। इस योजना ने उन्हें सिर्फ आर्थिक आजादी ही नहीं दी, बल्कि उन्हें अपने बच्चों को बेहतर शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने का मौका भी दिया। दुर्गा अब अपने समुदाय की अग्रणी महिला ई-रिक्शा चालकों में से एक हैं। उनका साहस और परिश्रम न केवल उनकी अपनी सफलता की कहानी है, बल्कि यह लैंगिक समानता और महिलाओं के सशक्तिकरण का प्रतीक भी बन गया है। स्कूल, कॉलेज के विद्यार्थी भी दुर्गा को ई-रिक्शा वाली दीदी के नाम संबोधित करने लगे हैं।
गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ शासन के श्रम कल्याण मंडल द्वारा संचालित दीदी ई-रिक्शा सहायता योजना के तहत 18 वर्ष से 50 वर्ष आयु समूह के न्यूनतम 3 वर्ष से पंजीकृत निर्माण महिला श्रमिकों को एक लाख रूपए अनुदान राशि प्रदान किया जाता है।