Indiscipline was at its peak in the cultured party, even small leaders climbed on the stage, huge chaos in the Rajyotsava program, administration remained a mute spectator
कान्हा तिवारी
जांजगीर चाँपा।
जांजगीर-चांपा।ञ्चकिरणदूत
सोमवार को जांजगीर में आयोजित राज्योत्सव में दर्शक दीर्घा से अपनी कुर्सी छोडक़र मंच पर चढ़ गए तो जिले के इस गरिमा मय कार्यक्रम में अनुशासनहीनता नजर आयी।।
कार्यकर्ताओं की अनुशासनहीनता पार्टी के आदर्शों की अनदेखी की चर्चा हो रही है। आज की यह घटना जिले चर्चा का विषय बना हुआ है। पार्टी को यह नहीं भूलना चाहिए कि जनता सत्ता सौपने के बाद सरकार के कार्यों के दैनिक मूल्यांकन भी करती है।
जांजगीर में आयोजित राज्योत्सव कार्यक्रम में एक अनोखी स्थिति देखी गई, जहां पंडाल से ज्यादा मंच पर भीड़ जमा रही। छत्तीसगढ़ राज्योत्सव का आयोजन इस बार जांजगीर के हाई स्कूल मैदान में धूमधाम से हुआ, लेकिन आयोजन की व्यवस्था और पंडाल में दर्शकों की उपस्थिति ने आयोजकों को सोचने पर मजबूर कर दिया। राज्योत्सव के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में जहां एक ओर मंच पर विभिन्न सरकारी अधिकारी और विशिष्ट अतिथि के अलावा जनप्रतिनिधि भारी संख्या में उपस्थित थे, वहीं पंडाल में अधिकांश कुर्सियां खाली पड़ी रही।
राज्योत्सव का शुभारम्भ हाई स्कूल मैदान में आयोजित 5 नवंबर की शाम 5 बजे किया गया। आयोजन में सांस्कृतिक कार्यक्रमों के अलावा लोक कला प्रदर्शन, और राज्य सरकार के विकास कार्यों की झलकियां प्रस्तुत की गईं। राज्योत्सव के इस आयोजन में विधायक, जनप्रतिनिधियो सहित उच्चाधिकारी मौजूद थे। इसके अलावा, राज्य की सांस्कृतिक धरोहर को प्रदर्शित करने के लिए कई प्रमुख कलाकारों और नर्तकों ने अपनी प्रस्तुतियां दीं। हालांकि, कार्यक्रम के दौरान पंडाल में बैठने के लिए सैकड़ों कुर्सियां लगाई गई थीं, लेकिन अधिकांश कुर्सियां खाली रही। आयोजन स्थल पर भीड़ तो थी, लेकिन वह मुख्य मंच के आसपास केंद्रित थी, जहां अधिकारी और विशिष्ट अतिथियो के अलावा जनप्रतिनिधि उपस्थित थे। दर्शक कार्यक्रम स्थल पर देर से पहुंचे, और उन्होंने प्रमुख कार्यक्रमों के समाप्त होने के बाद ही अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। खासतौर पर सांस्कृतिक कार्यक्रमों के दौरान, पंडाल में पर्याप्त संख्या में दर्शक मौजूद नहीं थे। इसकी कई वजहें हो सकती हैं। इस दौरान दर्शकों की अधिकतम भीड़ मुख्य मंच के पास ही दिखी, क्योंकि वहां सरकारी अधिकारियों और नेताओं के साथ-साथ कार्यक्रम में शामिल होने के लिए उन्हें आमंत्रित किया गया था। कार्यक्रम के शुभारम्भ से लेकर सांस्कृतिक कार्यक्रमों और अन्य प्रस्तुतियों के दौरान, पंडाल में बैठने के लिए दर्शकों की कमी ने यह सवाल खड़ा किया कि क्या कार्यक्रमों को अधिक आकर्षक और प्रभावी बनाने की जरूरत है। स्थानीय लोग और दर्शक इस आयोजन को सामान्य सरकारी कार्यकमों के रूप में देखने लगे थे, जिससे राज्योत्सव के उत्साह में कमी आई। हालांकि, आयोजकों के मुताबिक, पंडाल में खाली कुर्सियों की स्थिति केवल एक संयोग थी, क्योंकि अधिकांश लोग सांस्कृतिक कार्यक्रमों के दौरान विभिन्न स्थानों पर फैले हुए थे। फिर भी, यह स्पष्ट था कि राज्योत्सव का आयोजन अपेक्षित उत्साह के साथ नहीं हुआ। यह निश्चित रूप से आयोजकों के लिए एक विचारणीय मुद्दा है, खासतौर पर जब राज्य के विकास और सांस्कृतिक धरोहर को प्रदर्शित करने के लिए इस तरह के आयोजनों का महत्व होता है।