The audience was moved by listening to the story of devotee Dhruv narrated by Pandit Tankesh Dubey
प्रमोद अवस्थी मस्तूरी
मस्तूरी। भीष्म तिवारी एवं तिवारी परिवार द्वारा कटघोरा के सुप्रसिद्ध कथा वाचक पंडित टांकेश दुबे द्वारा संगीतमयी श्रीमद्भागवत महापुराण सप्ताह ज्ञान यज्ञ के तीसरे दिन कथाव्यास पंडित टांकेश दुबे ने कुरू वंश,भक्त ध्रुव प्रसंग और भगवान कपिल अवतार का उल्लेख किया। प्रवचनों में प. टांकेश दुबे ने कहा कि सतयुग के दौरान अवधपुरी में राजा उत्तानपाद राज किया करते थे।
उनकी बड़ी रानी का नाम सुनीति था और उनके कोई संतान नहीं थी। देवर्षि नारद ने रानी को बताया कि यदि तुम दूसरी शादी करवाओगी तो संतान प्राप्त होगी। रानी अपनी छोटी बहन सुरुचि की शादी राजा से करवा देती है और समय आने पर उससे एक संतान की उत्पत्ति होती है। उसी समय कुछ दिनों के बाद बड़ी रानी भी एक बालक को जन्म देती है। पांच वर्ष बाद जब राजा अपने बेटे का जन्म दिन मना रहे थे तो बालक ध्रुव भी बच्चों संग खेलता हुआ उनकी गोद में बैठ गया, जिस पर बड़ी रानी उसको लात मारकर उठा देती है और उसे कहती है कि यदि अपने पिता की गोद में बैठना है तो अगले जन्म तक इंतजार कर। बालक ध्रुव को यह बात चुभ जाती है और वह वन में जाकर कठिन तपस्या करने लगते हैं। उसकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु उन्हें दर्शन देते हैं और उन्हें मनचाहा वरदान देने का वचन देते हैं। उन्होंने कहा कि इस प्रसंग से हमे और समाज को यह शिक्षा मिलती है कि किसी से भेदभाव नहीं करना चाहिए और प्रभु की भक्ति में कोई विघ्न नहीं डालना चाहिए। और भी भक्ति के प्रसंग सुनाए उनकी सुमधुर भजनों से भक्तगण नाचने को मजबूर हो गए।
पुष्पेंद्र तिवारी सपत्नीक मुख्य यजमान के रूप में तथा भारी संख्या में श्रोतागण उपस्थित थे।