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महत्वपूर्ण अवसरों पर दोनों राज्यों के कलाकार एक-दूसरे के राज्यों में दे सकेंगे सांस्कृतिक प्रस्तुतियां

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On important occasions, artists from both states will be able to give cultural performances in each other’s states

छत्तीसगढ़ और उत्तरप्रदेश के सांस्कृतिक संबंधों में नए दौर की शुरुआत

Ro No- 13047/52

छत्तीसगढ़ और उत्तर प्रदेश सरकार के संस्कृति विभाग के बीच ‘‘एक भारत-श्रेष्ठ भारत‘‘ योजना के तहत हुआ एम ओ यू

दोनो राज्यों के कलाकार होंगे लाभान्वित

रायपुर /छत्तीसगढ़ संस्कृति विभाग और उत्तर प्रदेश सरकार के संस्कृति विभाग के बीच ‘‘एक भारत-श्रेष्ठ भारत‘‘ योजना के तहत एम ओ यू संपादित किया गया है। इस समझौते के तहत भारतीय एकता की भावना को मजबूत करने, समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को प्रदर्शित करने, नवाचारों और अनुभवों को साझा करने के लिए दोनों राज्य परस्पर सहयोग करेंगे। इस परस्पर समझौते से उत्तरप्रदेश और छत्तीसगढ़ के सांस्कृतिक संबंधों के एक नए दौर की शुरुआत होगी, जिससे दोनों राज्यों के कलाकार लाभान्वित होंगे। दोनों राज्यों के स्थापना दिवस सहित राष्ट्रीय पर्वाें के साथ-साथ अन्य महत्वपूर्ण अवसरों पर दोनों राज्यों के सांस्कृतिक कलाकार एक-दूसरे के राज्यों में प्रस्तुतियां देंगे। दोनों राज्यों के विविध सांस्कृतिक विधाओं के क्षेत्र में परस्पर विनिमय से दोनों राज्यों के कलाकार और सांस्कृतिक कर्मियों को लाभ होगा। प्राचीन काल से दोनों राज्यों के मध्य स्थापित संबंधों में प्रगाढ़ता आएगी।

उत्तरप्रदेश सरकार की ओर से संस्कृति मंत्री श्री जयवीर सिंह और उच्च शिक्षा मंत्री श्री योगेन्द्र उपाध्याय इस अवसर पर लखनऊ में आयोजित कार्यकम में उपस्थित थे। छत्तीसगढ़ शासन संस्कृति विभाग की ओर से उप संचालक डॉ. पी०सी० पारख उपस्थित थे।

मान्यता है कि छत्तीसगढ़ रामायण कालीन अयोध्या की महारानी और श्रीराम की माता कौशल्या का मायका था। श्रीराम ने अपने वनवास का अधिकांश समय इसी क्षेत्र में व्यतीत किया था। यहाँ माता कौशल्या की जन्मस्थली चंदखुरी, लवकुश की जन्मस्थली तुरतुरिया और शबरी का आश्रम शिवरीनारायण होने की मान्यता जन-जन में आज भी जीवंत है।

उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने 31 अक्टूबर 2015 को सरदार वल्लभभाई पटेल की 140वीं जयंती के अवसर पर ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ पहल की घोषणा की थी। इस अभिनव उपाय के माध्यम से, विभिन्न राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की संस्कृति, परंपराओं और प्रथाओं के ज्ञान से राज्यों के बीच बेहतर समझ और जुड़ाव पैदा होगा, जिससे भारत की एकता और अखंडता मजबूत होगी।

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