बिलासपुर। एसएसपी संतोष सिंह के निर्देश पर धर्म नगरी रतनपुर में पुलिस अब नशेबाजों और लफंगों के खिलाफ अभियान छेड़ दिया है। जहां रात होते ही असामाजिक तत्वों का डेरा जमा होता था, वहां अब पुलिस की गाड़ियां गस्त कर रहीं हैं। पुलिस पेट्रोलिंग के कारण अब समय पर दुकानें बंद हो रही है। नागरिकों ने पुलिस के कार्यो की सराहना की है। स्थानीय लोगों ने असामाजिक तत्वों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने पर पुलिस का आभार जताया है। रतनपुर के शरीफ लोगों का कहना है कि पुलिस अगर सख्त रहे तो ऐसे असामाजिक तत्व भाग खड़े होंगे।
वहीं, रतनपुर किराना व्यापारी संघ के अध्यक्ष सुभाष अग्रवाल ने असामाजिक तत्वों के खिलाफ पुलिस की कार्रवाई का समर्थन किया है। उन्होंने कहा कि जो लोग खुद को व्यापारी संघ का सदस्य बता कर पुलिस पर दबाव बना रहे हैं उनसे व्यापारी संघ का कोई संबंध नहीं है। उन्होंने यह भी बताया कि रतनपुर में असामाजिक तत्वों के खिलाफ एक्शन के बाद नगर में शांति है और हर हाल में यह शांति कायम रहनी चाहिए। ताकि नागरिक अच्छे मौहल में सांस ले सके।
दूसरी ओर, बीजेपी पार्षद नीतू सिंह क्षत्रिय ने कहा कि असमाजिक तत्वों के खिलाफ पुलिस को और सख्ती बरतनी चाहिए। ताकि महिलाओं और युवतियों को सुरक्षा का एहसास हो। पुलिस की कार्रवाई काबिल ए तारीफ है।
रतनपुर में रात होते ही गली गली में शराबियों और नशाखोरों के अड्डेबाजी से जनता परेशान थी। जिसके बाद एसएसपी संतोष कुमार सिंह ने थाना प्रभारी देवेश सिंह राठौर को असामाजिक तत्वों से कड़ाई से निपटने के निर्देश दिए। हरकत में आई पुलिस ने अपना डंडा चलाया जिससे बदमाशों में भय व्याप्त है। और नागरिकों ने राहत की सांस ली है।
रतनपुर थाना पुलिस सक्रियता से ही महिलाओं और युवतियों ने खुद को सुरक्षित महसूस किया। पहले असमाजिक तत्वों के हौसले बुलंद रहते थे। जिससे शरीफ आदमी का घर से निकलना मुश्किल हो गया था।
बदमाशों के खौफ के कारण नागरिक अपना आवाज नहीं उठा पाते थे। लेकिन अब रतनपुर का माहौल बदल रहा है। पुलिस ने अड्डेबाजी करने वाले असामाजिक तत्वों पर सख्ती बरती है। अब रात में नगर की दुकानें अपने समय पर बन्द होती है। इससे रतनपुर में शांति स्थापित हुई है।
स्थानीय लोगों ने वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक से गुहार लगाई है कि असामाजिक तत्वों के खिलाफ पुलिस का डंडा चलता रहे। इसके अलावा ऐसे स्थान जहां पार्टी बाजी होती है वहां पर चेकिंग अभियान चलाया जाए। असामाजिक तत्वों को चिन्हित कर उन्हें सलाखों के पीछे भेजा जाए। भीम चौक में बैठने वाले लोगों को वहां से हटाने के लिए डंडे भी चलाए गए। भीम चौक में भी रात होते ही केवल असमाजिक तत्वों का डेरा रहता था। महिलाओं का घरों से निकलना मुश्किल हो गया था।