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धार स्थित भोजशालाआज सर्वे का दूसरा दिन,क्या है धार की भोजशाला का इतिहास?

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Bhojshala located in Dhar Today is the second day of the survey, what is the history of Bhojshala in Dhar?

भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की टीम ने शुक्रवार को धार की भोजशाला का वैज्ञानिक सर्वे शुरू किया. भोजशाला का विवाद दशकों पुराना है. हिंदू इसे राजा भोज के काल का सरस्वती मंदिर मानते हैं जबकि मुस्लिम पक्ष कमाल मौलाना मस्जिद का दावा करता है.
भोजशाला में दूसरे दिन एएसआई के अधिकारियों ने जांच सर्वे का काम शुरू कर दिया है. इसके लेकर मौके पर एएसपी, सीएसपी, तीन डीएसपी और बड़ी संख्या में पुलिस अधिकारी मौके पर मौजूद हैं.

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धार स्थित भोजशालाआज सर्वे का दूसरा दिन है. सर्वे टीम भोजशाल पहुंच में चुकी है. आज सर्वे में मुस्लिम पक्ष के अब्दुल समद और मौलाना कमालउद्दीन भी मौजूद हैं. सर्वे के पहले दिन अब्दुल समक्ष मौजूद नहीं थे, उनका कहना है कि तबीयत खराब होने की वजह से वह नहीं आ पाए थे. अब्दुल समद है मुस्लिम समाज के सदर और समाज की ओर से पक्षकार हैं.

मुस्लिम समाज के सदर पक्षकार अब्दुल समद का कहना है कि सर्वे पहले हो चुका है तो दोबारा कराने की जरुरत नहीं है. अब्दुल समद ने भोजशाला में छेड़खानी का आरोप लगाया है. अब्दुल समद का कहना है कि जब मेरी तबीयत खराब है तो सर्वे रोका भी जा सकता था. इससे पहले एएसआई की एक टीम सुबह भोजशाल परिसर पहुंची. परिसर के सर्वे का शनिवार (23 मार्च) को दूसरा दिन है. धार स्थित भोजशाल पहुंचकर टीम ने साइंटिफिक तरीके से जांच शुरू कर दी है

बता दें इंदौर हाईकोर्ट की बेंच के निर्देशानुसार, धार स्थित भोजशाला में सर्वे किया जा रहा है. दिल्ली और भोपाल के अफसरों की टीम द्वारा सर्वे किया जा रहा है. कल जुमे की नमाज होने की वजह से दोपहर 12 बजे तक ही सर्वे किया गया था. इस दौरान एएसआई की टीम द्वारा फोटोग्राफी की गई थी.

सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम

सर्वे कार्य को लेकर सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं. धार सहित आसपास के थानों के अलावा राजधानी भोपाल से भी पुलिस फोर्स बुलाया गया है. वहीं सीसीटीवी कैमरों की मदद से निगरानी की जा रही है. भोजशाला में एएसपी डॉ. इंद्रजत बाकलवार, सीएसपी, तीन डीएसपी, आठ थाना प्रभारी सहित 175 पुलिस जवान तैनात किए गए हैं. शहर की ऊंची-ऊंची बिल्डिंगों पर भी पुलिस की तैनात की गई है. शहर में 25 चौराहों पर पुलिस के फिक्स प्वाइंट बनाए गए हैं.

सोशल मीडिया पर मॉनीटरिंग

खास बात यह है कि भोजशाला में सर्वे को लेकर पुलिस ने एक विशेष मॉनीटरिंग टीम बनाई है, जो केवल सोशल मीडिया पर ही अपनी नजर बनाए हुए है. भोजशाला से संबंधित अगर कोई भी भड़काऊ मैसेज आता है, पुलिस संबंधित के खिलाफ तुरंत एक्शन लेकर कार्रवाई करेगी.
सर्वे में जीपीआर-जीपीएस तकनीक का उपयोग
एएसआई सर्वे में जीपीआर और जीपीएस तकनीक का उपयोग होगा. सर्वे टीम में पांच एक्सपर्ट भी शामिल हैं. जीपीआर (ग्राउंड पेनिट्रेटिंग रडार) यह तकनीक जमीन के भीतर का पता लगाती है. मौके पर छिपी हुई चीजों की रचना कैसी है. जबकि जीपीएस (ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम) तकनीक बिल्डिंग की उम्र का पता लगाएगी. इसके साथ ही जीपीआर में कार्बन डेटिंग प्रक्रिया का इस्तेमाल भी किया जाएगा.

भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) की टीम धार स्थित भोजशाला का सर्वे कर रही है. मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के आदेश पर यह सर्वे किया जा रहा है. एएसआई की टीम पुरातात्विक और वैज्ञानिक सर्वे के आधार पर इस बात का पता लगाएगी कि भोजशाला में सरस्वती मंदिर है या कमाल मौलाना मस्जिद. भोजशाला परिसर के आसपास सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं. कोर्ट ने 11 मार्च को छह हफ्तों के भीतर एएसआई को धार की विवादास्पद भोजशाला का वैज्ञानिक सर्वे करने का निर्देश दिया था. आइए जानते हैं कि धार की इस भोजशाला का इतिहास क्या है और ताजा विवाद क्यों खड़ा हुआ है.
मध्य प्रदेश के इंदौर संभाग का धार जिला इन दिनों चर्चा में है. वजह है जिले की एक भोजशाला. भोजशाला एएसआई द्वारा संरक्षित 11वीं सदी का एक स्मारक है. हिंदू इसे वाग्देवी (देवी सरस्वती) का मंदिर मानते हैं और मुसलमान इसे कमाल मौलाना मस्जिद कहते हैं. यूं तो भोजशाला का विवाद दशकों पुराना है लेकिन साल 2022 में इंदौर हाई कोर्ट में दायर एक याचिका ने इसे एक नया मोड़ दे दिया. याचिका में यहां सरस्वती देवी की प्रतिमा स्थापित करने और पूरे परिसर की फोटोग्राफी-वीडियोग्राफी करवाने की मांग की गई. याचिका में यहां नमाज बंद कराने की भी मांग की गई थी.
क्या है धार की भोजशाला का इतिहास?

हजारों साल पहले यहां परमार वंश का राज था. 1000 से 1055 ईस्वी तक राजा भोज ने यहां शासन किया. वह देवी सरस्वती के अनन्य भक्त थे. 1034 ईस्वी में उन्होंने एक महाविद्यालय की स्थापना की थी जिसे आगे चलकर उनके नाम पर ही ‘भोजशाला’ नाम मिला. कहा जाता है कि अलाउद्दीन खिलजी ने 1305 ईस्वी में भोजशाला को ध्वस्त कर दिया था. फिर 1401 ईस्वी में दिलावर खान गौरी ने इसके एक हिस्से में मस्जिद बनवा दी. महमूद शाह खिलजी ने 1514 ईस्वी में इसके दूसरे हिस्से में भी मस्जिद बनवा दी.

क्या हैं हिंदू और मुस्लिम पक्ष के दावे?

बताया जाता है कि 1875 में यहां खुदाई की गई जिसमें सरस्वती देवी की प्रतिमा निकली जिसे मेजर किनकेड नामक अंग्रेज लंदन ले गया. फिलहाल यह प्रतिमा लंदन के एक म्यूजियम में है. इंदौर हाई कोर्ट में दायर याचिका में एक मांग इस प्रतिमा को लंदन से वापस लाने की भी थी. भोजशाला का विवाद कई साल पुराना है जिसे लेकर कई बार हिंदू और मुस्लिम पक्ष के बीच तनाव भी पैदा हो चुका है.
हिंदू संगठन इसे राजा भोज के काल का सरस्वती मंदिर बताते हैं. उनका तर्क है कि राजवंश काल में कुछ समय के लिए मुस्लिमों को नमाज पढ़ने की अनुमति दी गई थी. वहीं मुस्लिम पक्ष का दावा है कि वे कई साल से यहां नमाज पढ़ते आ रहे हैं. वे इस जगह को भोजशाला-कमाल मौलाना मस्जिद कहते हैं.

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