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नक्सलियों के गढ़ में पोलिंग बूथ संभव नहीं, बस्तर में 234 मतदान केंद्र शिफ्ट ,18 किमी पैदल चल कर जाना होगा वोट डालने

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Polling booth is not possible in Naxalite stronghold, 234 polling centers shifted in Bastar, one will have to walk 18 km to cast vote.

रायपुर/जगदलपुर। छत्तीसगढ़ के बस्तर में चुनाव कराना सुरक्षा बलों के लिए किसी युद्ध से कम नहीं है। देश का सर्वाधित नक्सल हिंसा ग्रस्त इलाका बस्तर संभाग में दो लोकसभा सीटें आती है। बस्तर और कांकेर। इसमें कांकेतर आंशिक नक्सल प्रभावित है। अलबत्ता, बस्तर लोकसभा सीट बारुदी सुरंगों से पटा हुआ है। बस्तर लोकसभा सीट के लिए 19 अप्रैल को वोटिंग होगी।

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पिछले सौ दिनों में सुरक्षा बलों ने करीब 37 नक्सलियों को अलग-अलग मुठभेड़ों में मौत के घाट उतार दिया। नक्सलियों पर लगातार दबाव बनाकर सुरक्षा बलों के हौसले बुलंद है। उन्हें विश्वास है कि इस बार भी लोकसभा चुनाव में वे नक्सलियों को काबू में रखने में सफल होंगे।

छत्तीसगढ़ में नक्सलियों की उलटी गिनती शुरू हो गई है। प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनते ही नक्सली मुठभेड़ बढ़ गए और पहली बार सुरक्षा बल माओवादियों के गुप्त ठिकानों तक पहुंचने में सफल हुए है। पिछले सौ दिनों में सुरक्षा बलों ने करीब 37 नक्सलियों को अलग-अलग मुठभेड़ों में मौत के घाट उतार दिया। ये मुठभेड़ नक्सलियों को भारी पड़ रहे है क्योंकि उन्हें जान-माल दोनों का नुकसान हो रहा है। पिछले 3 महीनों में सुरक्षा बलों ने न केवल में भारी मात्रा में हथियार और अन्य नक्सल सामग्रियां बरामद की, बल्कि माओवादियों के स्थानीय नेटवर्क को भी ध्वस्त करने में कामियाबी हासिल की।

सुरक्षा बलों के हौसले बुलंद

नक्सलियों पर लगातार दबाव बनाकर सुरक्षा बलों के हौसले बुलंद है। उन्हें विश्वास है कि इस बार भी लोकसभा चुनाव में वे नक्सलियों को काबू में रखने में सफल होंगे। बीते 15 दिनों में नक्सलियों ने जनता को चुनाव में शामिल ना होने के लिए तरह-तरह के प्रपंच कर भड़काया और धमकाया। इसी दौरान इन देश विरोधी तत्वों ने कुछ निर्दोष ग्रामीणों को बंधक बनाया और कुछ को मार डाला।

बस्तर ने 19 अप्रैल को है मतदान

प्रदेश में पहले चरण का चुनाव धुर नक्सल क्षेत्र बस्तर में होगा जहां सुरक्षा बलों के समक्ष शान्तिपूर्ण मतदान कराने की चुनौती होगी। दूसरे चरण में महासमुंद, राजनांदगाव और कांकेर में चुनाव है। इनमें राजनांदगाव और कांकेर में भी नक्सलियों की धमक देखते हुए भारी सुरक्षा बलों की उपस्थिति में मतदान कराया जाएगा। केंद्र सरकार ने भी साफ़ कर दिया है कि इस बार किसी प्रकार की हिंसा नहीं होने देंगे। नक्सलियों पर लगाम कसने के लिए छतीसगढ़ समेत चार राज्यों ने मिल कर यह निर्णय लिया है कि चुनाव के दौरान किसी प्रकार की गड़बड़ी या हिंसा नहीं होने दी जाएगी।

सुरक्षा की दृष्टि से बस्तर लोकसभा इलाके की 234 मतदान केंद्रों को सुरक्षा की दृष्टि से चुनाव आयोग ने सुरक्षित स्थानों पर शिफ्थ कर दिया है। क्योंकि, पारंपरिक मतदान केंद्रों पर वोटिंग कराना संभव नहीं। न वहां मतदान कर्मी जा सकते और न ही सुरक्षा बल। वे इलाके नक्सलियों का गढ़ माना जाता है। उन इलाकों में भैरमगढ़, चिंतलनार, एर्राबोर, जगरगुंडा जैसे विकासखंडों को रोड बनाकर कनेक्टिविटी ठीक कर दी गई है। नक्सल प्रभावित कई इलाकों में पक्की सड़कें बन गई हैं। मगर किस सड़क के निर्माण के दौरान नक्सलियों न कहां पर बारुदी सुरंगे लगा दी है, ये किसी को पता नहीं। जाहिर है, माओवादियों ने नए बने पक्की सड़कों को बारुदी सुरंगों के विस्फोट के जरिये कई दफा सुरक्षा बलों को बड़ा नुकसान पहुंचा चुके हैं। सो, चुनाव आयोग कोई रिस्क लेना नहीं चाह रहा है।

पैदल चलना होगा

बस्तर में सुरक्षा की दृष्टि से 234 मतदान केंद्रों को सुरक्षित जगहों पर शिफ्थ किया गया है, इससे सुकमा जिले के कोंटा विधानसभा के मतदान केंद्र 196 के वोटरों को 18 किलोमीटर पैदल चलकर मुर्लिगुदा मतदान केंद्र के कक्ष क्रमांक-2 जाना होगा। ये इलाके बारुदी सुरंगों से इस कदर पटे हुए हैं कि न चुनाव आयोग और न ही राजनीतिक पार्टियों वहां के वोटरों के लिए कोई वाहन का इंतजाम कर सकते। क्योंकि, नक्सली हमेशा वोटिंग का विरोध करते हैं। वे नहीं चाहेंगे कि कोई ग्रामीण उन बूथों पर आसानी से पहुंच जाएं।

234 मतदान केंद्र शिफ्ट

निर्वाचन आयोग ने सुरक्षा की दृष्टि से बस्तर संभाग के आठ में से पांच जिलों के 234 मतदान केंद्रों को सुरक्षित स्थानों पर शिफ्थ किया है। ये 234 मतदान केंद्र ऐसे हैं, जहां बिना रोड ओपनिंग के सुरक्षा बलों की टुकड़िया भी नहीं जा सकती। इनमें से कई स्थानों पर सुरक्षा बलों के कैंपों में तैनात जवानों के लिए हेलिकाप्टर से जरूरी सामान भेजे जाते हैं। या फिर रोड ओपनिंग के बाद गाड़ियों का काफिल रवाना होता है।

2 एयर एंबुलेंस तैयार

बस्तर में आपात स्थिति में मतदान कर्मी या जवानों को बेहतर इलाज के लिए शिफ्थ करने दो एयर एंबुलेंस तैयार रहेंगे। इनमें एक हेलिकाप्टर और एक चार्टर प्लेन शामिल हैं। दोनों जगदलपुर पहुंच चुके हैं। और 21 अप्रैल तक यहीं रहेंगे। किसी हादसे में जख्मी मतदान कर्मी या जवानों को रायपुर से बाहर मेट्रो सिटी में शिफ्थ करना होगा, तो उसके लिए एयर एंबुलेंस के रूप में एयरफोर्स का चार्टर प्लेन 24 घंटे अलर्ट मोड में रहेगा।

 

 

 

 

 

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