Did not get bail from Bombay HC, Gautam Navlakha got big relief in Elgar Parishad case
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में बुजुर्ग सामाजिक कार्यकर्ता गौतम नवलखा को जमानत दे दी। कोर्ट ने नवलखा की उम्र और सुनवाई में लगने वाले समय को देखते हुए जमानत दी। कोर्ट ने कहा कि मामले में अन्य 6 सह-आरोपियों को पहले ही जमानत मिल चुकी है। न्यायमूर्ति एमएम सुंदरेश और एसवीएन भट्टी की खंडपीठ ने नवलखा को नजरबंद के दौरान उनकी सुरक्षा पर खर्च हुए 20 लाख रुपये का भुगतान करने का भी आदेश दिया।
क्या है पूरा मामला?
महाराष्ट्र के पुणे में दिसंबर, 2017 में एल्गार परिषद का कार्यक्रम हुआ था, जिसमें नवलखा समेत अन्य लोगों ने भाषण दिया था। आरोप है कि नवलखा के भाषण के बाद ही भीमा कोरेगांव हिंसा भड़की थी। नवलखा पर जनवरी, 2018 में मामला दर्ज हुआ था और अगस्त, 2018 में गिरफ्तार कर लिया गया। पुलिस का दावा है कि आयोजकों के संबंध नक्सलियों से हैं। मामले में वरवरा राव, अरूण फरेरा, वर्णन गोन्साल्विज और सुधा भारद्वाज भी आरोपी पाए गए थे।
बिना चर्चा के जमानत की सीमा और नहीं बढ़ा सकते
सुनवाई के दौरान पीठ ने कहा ‘हम रोक के आदेश को आगे बढ़ाने के पक्ष में नहीं हैं। क्योंकि बॉम्बे हाई कोर्ट के आदेश में नवलखा की जमानत को लेकर विस्तार से बताया गया है। इस मामले की सुनवाई पूरी होने में अभी कई साल लगेंगे। ऐसे में इस मामले पर डिटेल में बहस के बिना जमानत की समय सीमा और नहीं बढ़ाया जा सकता।’
नवलखा की वकील ने किया विरोध
सुनवाई के दौरान एनआईए की ओर से पेश एडिशनल सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) एसवी राजू ने दावा किया कि नवलखा पर सुरक्षा के लिए बकाया वर्तमान में 1.75 करोड़ हो गया है। एएसजी के जवाब में जस्टिस सुंदरेश ने टिप्पणी करते हुए कहा कि नवलखा लंबे समय से जेल में बंद रहे। उन्होंने रोक को हटाने का सुझाव भी दिया था। वहीं नवलखा के वकील स्तुति राय और साथ में सीनियर वकील नित्या रामकृष्णन ने इस बिल का विरोध किया।
नजरबंद हैं गौतम नवलखा
महाराष्ट्र के भीमा कोरेगांव हुए हिंसा मामले में मानवाधिकार कार्यकर्ता और पीपुल्स यूनियन फॉर डेमोक्रेटिक राइट्स (PUDR) के पूर्व सचिव को अगस्त 2018 में गिरफ्तार किया गया था। शुरुआती सालों में उनको जेल में रखा गया, हालांकि नवंबर 2022 में सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर नवलखा को अधिक उम्र होने की याचिका को स्वीकार करते हुए उनके घर में ही नजरबंद कर दिया गया। वह तबसे नवी मुंबई स्थित अपने घर में नजरबंद हैं।
गौतम नवलखा पर क्या आरोप है?
गौतम नवलखा को सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद उनकी बढ़ती उम्र और स्वास्थ्य स्थितियों को देखते हुए नवंबर 2022 से घर में नजरबंद कर दिया गया है. दरअसल, नवलखा को अन्य लोगों के साथ पुणे पुलिस और बाद में एनआईए ने सरकार को उखाड़ फेंकने की साजिश रचने और 1 जनवरी, 2018 को भीमा कोरेगांव स्मारक पर जातीय दंगे भड़काने के आरोप में गिरफ्तार किया था.