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कुटरू में आदिवासी के मकान तोड़े जाने की सर्व आदिवासी समाज ने की निंदा, राज्यपाल वा राष्ट्रपति के पास लगेगा गुहार

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कोर्ट के आदेश का गलत अनुवाद कर प्रशासनिक अधिकारियों ने की उच्च न्यायालय की अवमानना

 

 

बीजापुर@रामचन्द्रम एरोला – कुटरू के आदिवासी परिवार सोमा चिड़ियाम के मकान को तहसीलदार द्वारा तोड़े जाने की शिकायत पर सर्व आदिवासी समाज ने कुटरू पहुंच कर वस्तुस्थिति की जानकारी ली तथा प्रशासन पर आदिवासी के मकान को तोड़े जाने को लेकर जल्दबाजी और कोर्ट के आदेश का गलत अनुवाद कर उच्च न्यायालय की अवमानना का आरोप लगाया है।

सर्व आदिवासी समाज के जिला अध्यक्ष जग्गू राम तेलामी ने बताया कि सोमा चिड़ियाम का परिवार यहां कई दशकों से निवासरत है। कुटरू में ग्रामीणों से मिली जानकारी के मुताबिक बाजार पारा के पास सोमा चिड़ियाम का मकान था जिसके पास नाजिर खान का प्लाट था जिसे उसने अंबिका प्रसाद गुप्ता को बेच दिया था। अंबिका प्रसाद गुप्ता समय समय पर सोमा चिड़ियाम की जमीन को अपना बताता रहा और वर्ष 1979 को बाजार के दिन सोमा चिड़ियाम के मकान को गिरा दिया था। जिसके बाद पुलिस थाना कुटरू के माध्यम से प्रकरण भी चला गया था। वर्ष 2003 में आपसी सहमति के आधार पर मामला खत्म हो गया था। जिसके बाद फिर से सोमा चिड़ियाम वहां घर बना कर रहने लगा था। ग्रामीणों ने बताया कि मार्च 2017 में रेवेन्यू इंस्पेक्टर और दो पटवारियों के साथ कोर्ट का कागज लेकर घर तोड़ने के लिए पहुंचे थे जिस पर गांव के पंच, सरपंच और प्रमुख लोगों की बैठक कर सोमा चिड़ियाम के पक्ष में निर्णय देते हुए पंचायत का प्रस्ताव बना कर एसडीएम कार्यालय सौंपा गया था। जिसके बाद मामला शांत हो गया था। ग्रामीणों ने समाज प्रमुखों को बताया कि 27 मई 2024 की शाम तहसील कार्यालय से एक नोटिस सोमा चिड़ियाम के नाम से मिला जिसमे अगले दिन 28 मई 2024 को दलबल के साथ कुटरू तहसीलदार पहुंचे और मकान को ढहा दिया। इसके साथ ही घर का सारा सामान लूट कर ले गए जिसमे परिवार के जीवन भर की कमाई थी।

आदिवासी समाज के नेता ने कहा कि जांच पड़ताल में प्रशासनिक अधिकारियों की भूमिका संदिग्ध नजर आ रही है तथा इन अधिकारियों की भाषा समझ पर सवाल उठता है। सर्व आदिवासी समाज जल्द ही इस मसलें को लेकर जिले के कलेक्टर से मिल कर उचित न्याय की मांग करेगा तथा राज्यपाल व राष्ट्रपति से गुहार करेगा और जरूरत पड़ी तो आंदोलन का रुख अख्तियार करेगा।

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