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देश का पहला FIR छत्तीसगढ़ में दर्ज, नये कानून के तहत कबीरधाम और रायपुर पुलिस की कार्रवाई…

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The country’s first FIR was registered in Chhattisgarh, action by Kabirdham and Raipur police under the new law…

रायपुर/कबीरधाम। छत्तीसगढ़ में नए कानून के तहत दो एफआईआर दर्ज हुये है। पहली एफआईआर कबीरधाम और दूसरी एफआईआर रायपुर में दर्ज हुई है। पहली Fir कबीरधाम जिला में रविवार-सोमवार की रात 12.10 बजे 1 जुलाई 2024 की घटना पर कबीरधाम के थाना रेंगाखार ने कार्रवाई करते हुए नए कानून भारतीय न्याय संहिता (BNS ) के तहत दर्ज किया।

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पहली Fir कबीरधाम में दर्ज

नए कानून के लागू होने के कुछ देर बाद ही छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित जिला कबीरधाम में मारपीट की घटना की सूचना मिलने पर कबीरधाम पुलिस ने पीड़ित को तत्काल राहत देने के लिए कार्रवाई करते हुए धारा 296,351(2). के तहत पहला FIR दर्ज किया।
थाना रेंगखार जिला कबीरधाम में नए कानून BNS के तहत देश का यह पहला FIR दर्ज होना भारत के नए कानूनों के माध्यम से आम नागरिकों को त्वरित न्याय दिलाकर नए कानूनों की मूल भावना के क्रियान्वयन की शुरुआत का प्रतीक है।
दरअसल, पीड़ित इतवारी पंचेश्वर पिता सहदेव निवासी मोहनटोला थाना रेंगाखार जिला कबीरधाम के द्वारा पुलिस को लिखित सूचना थाने में दर्ज कराई। शिकायत में बताया कि आरोपी गोलू ठाकरे रेंगाखार निवासी ने पीड़ित के ट्रैक्टर का कागजात अपने पास रखते हुए पीड़ित के साथ मारपीट व गाली-गलौज की। इस पर तत्काल संज्ञान लेते हुए थाना रेंगाखार द्वारा रविवार कि रात 12.30 बजे आरोपी के खिलाफ BNS की धारा के तहत FIR दर्ज किया।

दूसरी Fir रायपुर में दर्ज

रायपुर के थाना मंदिर हसौद में नए अपराधिक कानून के तहत पीड़ित नोहर दास रात्रे रिपोर्ट दर्ज कराया कि अमित सिंह राजपूत ने गाली गलौच और जान से मारने की धमकी दी। इस मामले को गंभीरता से लिया गया और धारा 296, 351(2) भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) के तहत अपराध दर्ज किया गया। इससे पहले ऐसे ही मामले में धारा 294, 506 आइपीसी के तहत दर्ज होता था।

SSP रायपुर संतोष सिंह ने बताया कि साथ ही थाना अभनपुर में नवीन कानून भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएनएस) की धारा 194 के तहत अकाल मृत्यु, मर्ग की सूचना दर्ज कर जांच किया गया है। सूचक लोकेश निषाद पिता कृष्णा निषाद उम्र 47 वर्ष सकीम परसदा के द्वारा दिनांक 1/7/24 को थाना आकर रिपोर्ट दर्ज कराई गई इसका भाई मृतक टीकम निशाद पिता कृष्णा निशाद उम्र 49 वर्ष साकिन ग्राम परसदा फांसी लगाकर आत्महत्या कर लिया है की सूचना पर मर्ग क्रमांक 53/2024 धारा 194 भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता कायम कर जांच कार्यवाही में ली गई। पहले यह 174 सीआरपीसी के तहत होता था।

भारत के नए कानून, विशेष रूप से भारतीय न्याय संहिता (BNS), का उद्देश्य देश की न्यायिक प्रणाली को अधिक आधुनिक और प्रगतिशील बनाना है। 160 साल पुराने अंग्रेजों के द्वारा बनाए गए कानून भारतीय दंड संहिता (IPC), दंड प्रक्रिया संहिता (CRPC), और इंडियन एविडेंस एक्ट को प्रतिस्थापित कर ये 3 नए कानून भारतीय न्याय संहिता (BNS ), भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS ) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम (BSA) लाए गए हैं। इनका मुख्य उद्देश्य न्यायिक प्रक्रियाओं में तेजी और पारदर्शिता लाना है, जिससे हर नागरिक को त्वरित और निष्पक्ष न्याय मिल सके।

जाने क्या कहता है 3 नए कानून

नए कानून के तहत एक जुलाई से देश व विदेश में कहीं से भी लोग संबंधित थाने के थाना प्रभारी को फोन से मौखिक शिकायत करने के अलावा पुलिस की वेबसाइट पर जाकर संबंधित थाने का चयन कर लोग ई-एफआईआर दर्ज कर सकेंगे। तीन दिन के भीतर पीड़ित को थानाध्यक्ष अथवा उनके निर्देश पर किसी अन्य पुलिस अधिकारी व जांच अधिकारी के सामने बयान देना होगा।

अब घर बैठे कहीं से भी लोग कर सकेंगे ई-FIR

आगामी एक जुलाई से शुरू होने वाले नए कानून में काफी बदलाव किया गया है। नए कानून के तहत एक जुलाई से देश व विदेश में कहीं से भी लोग संबंधित थाने के थाना प्रभारी को फोन से मौखिक शिकायत करने के अलावा पुलिस की वेबसाइट पर जाकर संबंधित थाने का चयन कर लोग ई-एफआईआर दर्ज कर सकेंगे, लेकिन उसकी मान्यता तब तक नहीं होगी, जब तक वे ईमेल से भेजी गई शिकायत के तीन दिन के भीतर शिकायत के संबंधित पर्याप्त साक्ष्यों लेकर थानाध्यक्ष के पास उपस्थित नहीं होंगे।

तीन दिन के भीतर पीड़ित को थानाध्यक्ष अथवा उनके निर्देश पर किसी अन्य पुलिस अधिकारी व जांच अधिकारी के सामने बयान देना होगा। बयान व साक्ष्यों के बाद पुलिस अधिकारी प्रथमदृष्टया शिकायत का सत्यापन करेंगे।
पुलिस अधिकारी के संतुष्ट हो जाने के बाद जब शिकायतकर्ता एफआईआर पर अपना हस्ताक्षर करेंगे तब जाकर एफआईआर की मान्यता होगी। अपराध से संबंधित हर जानकारी चाहे अपराध किसी भी क्षेत्र में हुआ हो, किसी भी थाने के थाना प्रभारी को मौखिक या इलेक्ट्रॉनिक संचार द्वारा भी दी जा सकती है।

अब हर राज्य में जीरो एफआईआर की सुविधा

2012 में निर्भया केस के बाद केंद्र सरकार ने महिलाओं से जुड़े अपराध के मामले में जीरो एफआईआर की सुविधा दी थी तब कुछ राज्यों के कुछ थाना पुलिस ही इस पर अमल कर रहे थे। अब देश के हर राज्य की पुलिस महिलाओं की शिकायत पर जीरो एफआईआर कर सकती हैं।
जीरो एफआईआर दर्ज कर पीड़िता का संबंधित मजिस्ट्रेट के सामने बयान दर्ज करवा थाना प्रभारी या तो अपने थाने के कर्मचारियों के साथ पीड़िता को संबंधित थाना पुलिस के पास भेज सकेंगे अथवा मेल से जीरो एफआईआर को संबंधित थाने को भेज सकेंगे। यानी नए कानून में जीरो एफआईआर को वैधानिक मान्यता दे दी गई है।

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