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सिंघानिया परिवार द्वारा आयोजितश्रीमद् भागवत कथा में कृष्ण-सुदामा चरित्र का वर्णन सुनकर भाव विभोर हुए श्रद्धालु

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Devotees were moved after listening to the description of Krishna-Sudama character in Shrimad Bhagwat Katha organized by Singhania family

प्रमोद अवस्थी मस्तूरी

Ro No- 13047/52

मस्तूरी।अकलतरा में लखन दीपक सिंघानिया परिवार द्वारा पितृ मोक्ष गया श्राद्ध में चल रही श्रीमद् भागवत कथा के अंतिम दिन गुरुवार को वृंदावन से पधारे कथा वाचक पंडित अवनीश तिवारी जी ने सुदामा चरित्र व सुखदेव विदाई का वर्णन किया। उन्होंने कहा कि मित्रता में गरीबी और अमीरी नहीं देखनी चाहिए। मित्र एक दूसरे का पूरक होता है। भगवान श्री कृष्ण ने अपने बचपन के मित्र सुदामा की गरीबी को देखकर रोते हुए अपने राज सिंहासन पर बैठाया और उन्हें उलाहना दिया कि जब गरीबी में रह रहे थे तो अपने मित्र के पास तो आ सकते थे, लेकिन सुदामा ने मित्रता को सर्वोपरि मानते हुए श्रीकृष्ण से कुछ नहीं मांगा।

उन्होंने बताया कि सुदामा चरित्र हमें जीवन में आई कठिनाइयों का सामना करने की सीख देता है। सुदामा ने भगवान के पास होते हुए अपने लिए कुछ नहीं मांगा। अर्थात निस्वार्थ समर्पण ही असली मित्रता है। कथा के दौरान परीक्षित मोक्ष व भगवान सुखदेव की विदाई का वर्णन किया गया। कथा के बीच-बीच में भजनों पर श्रद्धालुओं ने नृत्य भी किया। इस दौरान बड़ी संख्या में महिला पुरुष श्रोता मौजूद थे। कथा वाचक अवनिश तिवारी ने बताया कि भागवत कथा का श्रवण से मन आत्मा को परम सुख की प्राप्ति होती है।

भागवत में बताए उपदेशों उच्च आदर्शों को जीवन में ढालने से मानव जीवन जीने का उद्देश्य सफल हो जाता है। सुदामा चरित्र के प्रसंग में कहा कि अपने मित्र का विपरीत परिस्थितियों में साथ निभाना ही मित्रता का सच्चा धर्म है! मित्र वह है जो अपने मित्र को सही दिशा प्रदान करे,जो कि मित्र की गलती पर उसे रोके और सही राह पर उसका सहयोग दे।

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