Education is not just for jobs, it makes us responsible citizens – Lalit Nareti
कांकेर। पुनांग तिंदाना पंडुम और गायता जोहारनी के पश्चात् भानबेड़ा क्षेत्र के 12-15 गांव के कोयतोर समुदाय के लोग एक संयुक्त कार्यक्रम का आयोजन हवरकोंदल में किये, यह गांव कांकेर और बालोद जिला का सीमावर्ती गांव है जो वन की हरियाली के बीच बसा हुआ है। कार्यक्रम में उपस्थित सियानों ने नवाखाई और गायता जोहारनी के उच्च परंपरा को विस्तार पूर्वक बताया। गायता जोहारनी मिलन समारोह कार्यक्रम में शिक्षा के क्षेत्र में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले प्रतिभावान विद्यार्थियों का सम्मान किया गया। नवा खाई, गायता जोहरनी मिलन समारोह सर्कल – भानबेडा के ग्राम – हवरकोन्दल में आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए ललित नरेटी सर्व आदिवासी समाज प्रदेश उपाध्यक्ष (युवा प्रभाग) छत्तीसगढ़ ने कहा कि शिक्षा ऐसी रोशनी है जो घरों के अंधेरे को उजाला करती है,शिक्षा का मुख्य उद्देश्य सिर्फ डिग्री ही हासिल करना, नौकरी प्राप्त करना ही नहीं बल्कि समाज में एक जिम्मेदार नागरिक बनाता है, व्यक्ति का व्यवहार ही उसकी अच्छी शिक्षा और ज्ञान को दर्शाता है आप नौकरी और डिग्री के लिए मत पढ़ाई करें, आप मानव समाज के लिए लिए पढ़ाई कीजिए ताकि हम विकसित समाज और मजबूत देश का निर्माण कर सकें। उपस्थित जन समुदाय को अपील करते हुए कहा कि आदिवासियों के लिए संविधान में दिए गये संवैधानिक अधिकारों को भी पढ़िए और समाज को बताइए ताकि उन सुविधाओं का लाभ लेकर अपने जीवन स्तर को ऊंचा उठा सकें। नौकरी मिले या न मिले अपने पूर्वज के जमीन से हम अच्छी खेती करके अच्छा आमदनी ले सकते हैं वर्तमान दौर में हमें व्यवसाय की ओर भी ध्यान देना चाहिए जिससे आर्थिक मजबूती मिल सके और *न्याय, स्वतंत्रता, बंधुता और समानता ऐसे समाज का निर्माण कर सकें। नशा एक ऐसी बुरी आदत है जो युवा पीढ़ी को बर्बाद कर रही है जो व्यक्ति को तन-मन-धन से खोखला कर देता है। इससे व्यक्ति के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। उसके परिवार की आर्थिक स्थिति दिन-ब-दिन बिगड़ती जाती है। इस बुराई को समाप्त करने के लिए समाज के हर तबके को आगे आना होगा। इस काम को लेकर हम सब को आगे आकर समाज में बैठ कर गहन विचार मनन करना चाहिये ताकि इस बुराई से बचा जा सके। उन्होंने अपने उद्बोधन में शिक्षा के महत्व को रेखांकित करते हुए प्रत्येक युवा को शिक्षा को बढ़ावा देने में अपना योगदान देने हेतु अपील किया। साथ ही व्यापार और स्वरोजगार के क्षेत्र में आगे आकर हमें आर्थिक मजबूती प्राप्त करने की आवश्यकता पर बात रखा। नवाखाई में जिस तरह हम नयी बहू को अपने घर लाकर उनको समस्त सदस्यों से परिचय कराते हैं और उनके पाक-कला का परीक्षण हो जाता है इन बातों पर भी प्रकाश डाला गया। कोयतोर समुदाय में मामा-फूफू के बेटी का लेन-देन चलता है, सबसे पहला हक हमारा अपने मामा और फूफू के बेटी पर रहता है। इसके कारण ही इस समुदाय में बेटी को पिता के संपत्ति पर हक नहीं दिया जाता, क्योंकि उनका हक पहले से उनके मामा -फूफू के घर में रहता है और यही व्यवस्थित परंपरा ही हमें दूसरों से अलग करता है। इसे ही दुध लौटावा पद्धति कहा जाता है। समझने के लिए शादी के दिन फूफू सत्ता के समय देखना चाहिए।
चूंकि इन बातों को समझने के लिए बहुत ज्यादा पुस्तक पढ़ने या डिग्री लेने की जरूरत नहीं है। बल्कि आदिवासियों के जीवनशैली को जीने और आत्मसात करने की आवश्यकता है। पुन: आप सभी को पुनांग पंडुम और गायता जोहारनी की हार्दिक बधाई, सेवा जोहार