Amidst the continuous news, the statement of elected public representative Taati: Officers should improve the condition of Anganwadi centers
बच्चों को खेलने झूले और फिसलपट्टी तो दूर, इन केन्द्रों में खिलौने भी नसीब नहीं
बीजापुर@रामचन्द्रम एरोला – महिला बाल विकास विभाग की देखरेख में संचालित आंगनबाड़ी की व्यवस्थाओं की बदहाली की खबरें पिछले दिनों से लगातार हमारी अखबार दैनिक किरण दूत वा अन्य कुछ प्लेटफार्मों में चल रही है इसी बीच चुने हुए जनप्रतिनिधि का एक बयान आया, जिसमें उन्होंने अपने क्षेत्र भोपालपटनम जिन आँगनबाड़ी केन्द्रों पर नौनिहालों का भविष्य रोपने और उसे सींचकर स्वस्थ पौधा बनाने की जिम्मेदारी है, वे स्वयं ही अपनी दुर्दशा पर आँसू बहा रहे हैं। ऐसे में उनसे क्या उम्मीद की जा सकती है?” आगे यह कहना है, जिला पंचायत सदस्य बसंत राव ताटी का बीजापुर जिले के आँगनबाड़ी केन्द्रों की अव्यवस्थाओं के बारे में मीडिया में लगातार आ रही खबरों पर गहरी चिंता व्यक्त कि छत्तीसगढ़ शासन के महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा जिले भर में संचालित आँगनबाड़ी केन्द्रों की स्थिति शहर से लेकर गाँव तक लगभग एक जैसी है। ये खबरें हमें सोचने पर बाध्य करती हैं कि जीवन के पहले ही पायदान पर उपेक्षा के शिकार नौनिहाल लड़खड़ाते कदमों से अपना और देश का सुनहरा भविष्य कैसे गढ़ेंगे?
आंगनबाड़ी केन्द्र की दयनीय स्थिति पर रोशनी डालते हुए बताया कि कहीं भवन अत्यंत जर्जर हैं तो कही भवनों का अभाव बना हुआ है। जहाँ भवन बने हैं, उनमें पर्याप्त सुविधाओं की कमी है।आँगनबाड़ी केन्द्रों के हालत इस कदर खराब है कि कही बिजली है तो पंखा नहीं है और कहीं पंखा है तो बिजली नहीं है।और तो और अधिकांश आँगनबाड़ी केंद्रों में पानी न होने के बावजूद शोपीस की तरह नल की टोंटियाँ लगी हुई हैं। बच्चों को खेलने के लिये झूले और फिसलपट्टी तो दूर की बात, इन केन्द्रों में उनको खिलौने भी नसीब नहीं हैं। जिला पंचायत सदस्य ने इस जनजाति बाहुल्य ज़िले में माताओं और छोटे बच्चों के स्वास्थ्य और देखभाल से जुड़े इन महत्वपूर्ण केन्द्रों की दुर्व्यवस्था पर दुख व्यक्त करते हुए कहा कि छोटे-छोटे बच्चों को मनोरंजन के साधनों की उपलब्धता को नजर अंदाज भी कर दिया जाये तब भी जरूरी व्यवस्थाओं की बात तो करनी ही पड़ेगी। अधिकांश आँगनबाड़ी केंद्रों में शौचालय नहीं हैं। कहीं शौचालय बना भी है तो वह उपयोग के लायक नहीं है।ऐसी परिस्थिति में माताओं और शिशुओं के लिये पौष्टिक आहार की कल्पना भी बेमानी ही होगी।