नई शिक्षा नीति में बाल्यकाल शिक्षा को बहुत महत्वपूर्ण माना गया है और यह बच्चों का वह आधारस्तंभ है जिस पर पूरी शिक्षा की नींव रखी जाती है।बाल्यकाल की इस अवस्था को बुनियादी साक्षरता एवं संख्यात्मकता (FLN) मिशन के नाम से नई शिक्षा नीति में एक लक्ष्य के रूप में रखा गया है जो 2026-27तक पूरा करना है।इसी परिपेक्ष्य में छत्तीसगढ़ राज्य के विभिन्न जिलों के शिक्षकों ने बच्चों के उनके स्तर के अनुरूप कविता , कहानी की रचना कर बच्चों में अपेक्षित दक्षता लाने हेतु प्रयास किया है।रायगढ़ जिले से संतोष कुमार पटेल भी इसमें शामिल हुए।इनकी हिंदी व अंग्रेजी की कई रचना राज्य स्तर से प्रकाशित पुस्तक किलोल में भी हुई है जिसका प्रकाशन स्वयं शिक्षा सचिव आलोक शुक्ला सर कर रहे थे।आज इस पुस्तिका का विमोचन विवेकानंद ऑडिटोरियम (साक्षरता भवन)दुर्ग में अध्यक्षता कर रहे श्री अभय जायसवाल जी(जिलाशिक्षा अधिकारी)विशिष्ट अतिथि डॉ. परदेशी वर्मा जी (वरिष्ठ साहित्यकार),गुलबीर सिंह भाठीया जी(साहित्यकार),विशेष अतिथि सुरेन्द्र पाण्डेय जी (जिला मिशन समन्वयक),गोविंद साव जी(विकास खण्ड शिक्षा अधिकारी)के करकमलों से हुआ।श्री अभय जायसवाल जी,सुरेन्द्र पाण्डेय जी व गोविंद साव जी ने fln की कविता व कहानी की रचनाकार सभी शिक्षकों को बधाई देते हुए कहा कि आप सभी अपने शालाओं में बच्चों की शिक्षा में काम करते हुए fln की प्राप्ति के लिए जो अतिरिक्त समय शिक्षा पर दे रहे हैं जो कविता कहानी के माध्यम से बच्चों की बेसिक शिक्षा को मजबूत कर रहे हैं वह काबिले तारीफ है।सभी के समन्वित प्रयास से हम अपने लक्ष्य की प्राप्ति समयावधि में जरूर पूर्ण कर लेंगे यह पूर्ण विश्वास है।इसके पश्चात गुलबीर सिंह भाठीया जी ने अपने उद्बोधन में कहा कि मैंने आप सभी शिक्षकों के कविता व कहानी को पढ़ा और मुझे खुशी हुई कि आप सभी बच्चों के स्तर पर जाकर उनके मनपसंद कविता व कहानी की रचना किये हो इससे बच्चे अपनी ज्ञान में वृद्धि करेंगे साथ ही आप सभी एक अच्छे साहित्य सृजन की ओर अग्रसर हो रहे हो यह अच्छी बात है।बच्चा जो समाज व प्रकृति मे देखता है अनुभव करता है उसे आप लोग सहज व सरल पंक्तियों में लयबद्ध किये हो इससे बच्चा जल्दी सीखेगा।बच्चे को पाठ्यक्रम जटिल लगता है और इसमें रुचि नही ले पाता।लेकिन बच्चे को जब आपके लिखे ऐसे कविता व कहानी पढ़ने को मिलता है तो उसे पुस्तक के प्रति जिज्ञासा व पढ़ने की ललक बढ़ती है जो बाद में उसे सक्षम पाठक बनने में मदद करती है।परदेशीराम वर्मा जी ने पुस्तक रचनाकार सभी शिक्षकों को बधाई दिया व कहानी व कविता की रचना के समय शब्द संयोजन, स्तर व बच्चों की रुचि का ध्यान रखते हुए किस प्रकार की रचना की जाए इस पर गहनता से प्रकाश डाला।इन्होंने कहा कि एक रचनाकार को कभी निराश नही होना चाहिए शुरुआत भले ही सामान्य हो पर इसे निरंतर जारी रखना चाहिए, लगातर साहित्यिक रचनाएँ पढ़ते रहना चाहिए व साहित्यिक परिवेश में शामिल होते रहना चाहिए।इससे रचना में कलात्मकता, नवीनता व सृजनात्मक सौंदर्य बढ़ती है।समाज को एक नई दशा व दिशा देने हेतु सभी शिक्षकों ने जो अभिनव पहल किया है वास्तव में यह शिक्षा के क्षेत्र में मिल का पत्थर साबित होगा।