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माओवादी लिंक मामला:बॉम्बे HC का बड़ा फैसला ,DU के पूर्व प्रोफेसर जीएन साईबाबा को बड़ी राहत, उम्रकैद की सजा रद्द

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Maoist link case: Big decision of Bombay HC, big relief to former DU professor GN Saibaba, life sentence canceled

माओवादी लिंक मामले में बॉम्बे हाई कोर्ट ने आज यानी 5 मार्च को अहम फैसला सुनाया है। जस्टिस विनय जोशी और वाल्मिकी एसए मेनेजेस ने इस मामले में बड़ा फैसला सुनाते हुए डीयू के पूर्व प्रोफेसर जीएन साईबाबा को बरी कर दिया है। इसी के साथ ही उनकी उम्रकैद की सजा को भी रद्द कर दिया है।जस्टिस विनय जोशी और जस्टिस एसए मेनेजेस की बींच ने इसी मामले में पांच अन्य आरोपियों को भी बरी कर दिया.

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माओवाजियों संग लिंक केस में फैसला देते वक्त पीठ ने कहा कि वह सभी आरोपियों को बरी कर रही है क्योंकि अभियोजन पक्ष उनके खिलाफ उचित संदेह से परे मामला साबित करने में विफल रहा. कोर्ट ने साईबाबा के अलावा जिन लोगों को बरी किया है, उनके नाम हैं- हेम मिश्रा, महेश तिर्की, विजय तिर्की, नारायण संगलिकर, प्रशांत राही, पांडू नैरोट (मृत).

क्या है आरोप
बता दें कि साल 2014 में नक्सलियों से संबंध मामले में साई बाबा की गिरफ्तारी हुई थी। साई बाबा फिलहाल नागपुर सेंट्रल जेल में बंद हैं। गिरफ्तारी से पहले व्हीलचेयर से चलने वाले प्रोफेसर साई बाबा दिल्ली विश्वविद्यालय के राम लाल आनंद कॉलेज में अंग्रेजी पढ़ाते थे। जांच एजेंसियों के अनुसार वह छत्तीसगढ़ के अबुजमाड़ के जंगलों में छिपे हुए नक्सलियों और प्रोफेसर के बीच एक कूरियर के रूप में काम कर रहे थे।

कौन हैं साईबाबा

आंध्र प्रदेश के एक गरीब परिवार में पैदा हुए जी.एन. साईबाबा 90 प्रतिशत शारीरिक रूप से अक्षम हैं. 2003 में दिल्ली आने से पहले उनके पास वीलचेयर खरीदने के भी पैसे नहीं थे. लेकिन पढ़ाई में हमेशा से वह काफी तेज थे. साईंबाबा 9 मई,2014 में गिरफ्तार होने से पहले राम लाल कॉलेज में अंग्रेजी के प्रोफेसर थे.उनकी लव मैरिज हुई थी. उनकी मुलाकात उनकी पत्नी वसंत से एक कोचिंग क्लास में हुई थी.

अखिल भारतीय पीपुल्स रेजिस्टंस फोरम (एआईपीआरएफ) के एक कार्यकर्ता के रूप में, उन्होंने कश्मीर और उत्तर पूर्व में मुक्ति आंदोलनों के के समर्थन में दलित और आदिवासी अधिकारों के लिए प्रचार करने के लिए 2 लाख किमी से अधिक की यात्रा की थी. 7. साईबाबा पर शहर में रहकर माओवादियों के लिए काम करने का आरोप है. क्रांतिकारी डेमोक्रेटिक फ्रंट माओवादियों का गुट है. इन पर इस गुट के सदस्य होने का आरोप था. हालांकि खुद उन्होंने हमेशा ही माओवादियों का साथ देने के आरोप को झूठा बताया है.

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