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आइये जाने टेस्ट ट्यूब बेबी प्रक्रिया क्या है ? कितना खर्चा आता है और सफलता दर कहा तक है ?

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Let us know what is the test tube baby process? How much does it cost and what is the success rate?

दुनिया भर में हर साल IVF से लगभग 80 लाख बच्चे जन्म लेते हैं और भारत में एक साल में 2 से 2.5 लाख लोगों का आईवीएफ फर्टिलिटी ट्रीटमेंट की मदद से माता-पिता बनने का सपना साकार होता है.
29 मई 2022, पंजाब के मशहूर गायक सिद्धू मूसेवाला की हत्या की खबर सामने आई. इस खबर ने न सिर्फ पंजाब बल्कि पूरे भारत को शोकाकूल कर दिया था. सिद्धू मूसेवाला अपने माता-पिता के इकलौते संतान थे. उनकी मौत के बाद उनकी मां चरण कौर और पिता बलकौर सिंह अकेले हो गए थे.
अब इस घटना के दो साल बाद एक बार फिर सिद्धू चर्चा में हैं और इस बार उनके नाम के साथ एक खुशखबरी भी जुड़ी है. दरअसल हाल ही में सिद्धू मूसेवाला की मां ने एक बच्चे को जन्म दिया है. मूसेवाला की नाम 56 साल की हैं और उन्होंने इस उम्र में बच्चे को जन्म देने के लिए विट्रो फर्टिलाइजेशन (आईवीएफ) तकनीक अपनाई है.
ऐसे में इस रिपोर्ट में विस्तार से समझते हैं कि आखिर ये क्या है आईवीएफ तकनीक क्या है और इसके जरिये प्रेगनेंसी कितना सफल है…
क्या है आईवीएफ
एबीपी ने आईवीएफ एक्सपर्ट डॉक्टर निभा सिंह से बातचीत की. इस दौरान उन्होंने बताया कि इस तकनीक के जरिये लैब में महिला की ओवरी से अंडे निकालकर पुरुष के स्पर्म के साथ फर्टिलाइजेशन कराया जाता है. फर्टिलाइजेशन के इस प्रक्रिया में ये जरूरी नहीं है कि महिला के शरीर से जितने भी अंडे निकल रहे हैं वह सभी भ्रूण में तब्दील हो.
कई बार भ्रूण बनने के बाद भी फ्रीजिंग के प्रोसेस तक वह सर्वाइव नहीं कर पाते हैं. ऐसे में इस प्रक्रिया के बाद जो अच्छे क्वालिटी के भ्रूण होते हैं उसे ही महिला के गर्भाशय में डाला जाता है, ऐसा करने से उनकी प्रेग्नेंसी का चांस ज्यादा रहता है.
आईवीएफ यानी इन विट्रो फर्टिलाइजेशन को पहले टेस्ट ट्यूब बेबी कहा जाता था, इसलिए हो सकता है कि आप आज भी इसे टेस्ट ट्यूब बेबी के नाम से ही जानते हों. IVF यानी टेस्ट ट्यूब बेबी के तकनीक का सबसे पहला इस्तेमाल साल 1978 में इंग्लैंड में किया गया था और आज ये तकनीक न सिर्फ इंग्लैंड बल्कि दुनिया के उन सभी जोड़ो के लिए वरदान से कम नहीं है, जो सालों से प्रेगनेंसी की कोशिश के बावजूद सफल नहीं हो पा रहे हैं.
भारत में आमतौर पर आईवीएफ तकनीक में 65,000 से 95,000 रुपए तक का खर्च आता है जबकि अफोर्डेबल आईवीएफ तकनीक से प्रजनन की कीमत 40,000 रुपए तक होती है. सामान्य आईवीएफ में आमतौर पर 10 से 12 अंडों का निर्माण किया जाता है जबकि अफोर्डेबल आईवीएफ में तीन से चार अंडों का निर्माण करते हैं.
टेस्ट ट्यूब बेबी ट्रीटमेंट का पहला हिस्सा / चरण
आमतौर पर कपल्स जब अस्पताल में अपना ईलाज शुरू करवाते हैं इससे पहले जांचों का खर्च होता है । इसमें पति – पत्नी की जांचे की जाती हैं जिसमें निःसंतानता का कारण, आगे कैसे बढ़ना है, खर्चा कितना होगा, सफलता की संभावना और सेंटर पर कितनी बार विजिट आदि बातें बतायी जाती हैं इसके बाद टेस्ट ट्यूब बेबी प्रक्रिया में डॉक्टर का और हॉस्पिटल का शुल्क, कंसल्टेशन, सोनोग्राफी (अल्ट्रासाउंड), ओटी, एम्ब्रियोलॉजिस्ट और गाइनेकॉलोजिस्ट, आईवीएफ लैब, उपयोग में लिये जाने वाले मीडिया, वार्ड इत्यादि के खर्चे शामिल हैं जो सब मिलाकर लगभग 35,000 रूपए होते हैं।
गर्भधारण नहीं होने के पर दम्पती घबराए हुए होते हैं ऐसे में उन्हें परामर्श की विशेष आवश्यकता होती है। परामर्श के दौरान कपल्स डॉक्टर अपनी समस्या, पुरानी रिपोर्ट और पूर्व में किये गये इलाज के बारे में बातचीत करते हैं। मरीज की समस्या के अनुरूप डॉक्टर कपल्स की जांचे करवाते हैं ताकि समस्या के बारे में सटिक जानकारी मिल सके और उसे ध्यान में रखकर इलाज शुरू हो सके। प्रोसेस के दौरान मरीज को कई बार डॉक्टर से परामर्ष, जाचों और विभिन्न चरणों के बारे में जानकारी के लिए मिलना होता है।
टेस्ट ट्यूब बेबी का दूसरा भागआईवीएफ के पहले भाग
में परामर्श और जांचों के बाद उपचार प्रक्रिया निर्धारित होने के बाद दूसरे भाग में इंजेक्शन और दवाइयों का खर्चा होता हैं । इसमें महिला की ओवरी में नोर्मल बनने वाले अण्डों से अधिक संख्या में अण्डे बनाने के लिए 10 – 12 दिन तक इंजेक्षन लगाए जाते हैं। ये दर्दरहित इंजेक्षन होते हैं। प्रक्रिया के दौरान अण्डों के डवलपमेंट को कुछ टेस्ट के माध्यम से देखा जाता है। अण्डे परिपक्व होने के बाद इन्हें महिला के अण्डाशय से निकाल करके आईवीएफ लैब में सुरक्षित रख दिया जाता है । अण्डों की प्राप्ति के बाद मेल पार्टनर से वीर्य का सेम्पल लेकर अण्डे को शुक्राणु से फर्टिलाईज करवाया जाता है। फर्टिलाइज्ड एग दो-तीन दिन तक लैब में डवलप होता है इसके बाद उसे महिला के गर्भाशय में स्थानान्तरित कर दिया जाता है। कपल्स के लिए अपने भ्रूण फ्रीज करवाने का ऑप्षन भी आईवीएफ में उपलब्ध होता है ताकि अगर भविष्य में गर्भधारण करने का मन होने पर पूरी आईवीएफ प्रक्रिया करवाने के बजाय सिर्फ एम्ब्रियो ट्रांफसर करवाने से गर्भधारण हो जाए।
टेस्ट ट्यूब बेबी उपचार में मुख्य खर्चा इंजेक्शन का होता है क्योंकि फटिलाईजेशन की प्रोसेस अण्डों की क्वालिटी और उनकी संख्या पर निर्भर करती है । टेस्ट ट्यूब बेबी प्रक्रिया को सफल बनाने के लिए अच्छे इंजेक्षन का उपयोग किया जाना चाहिए । मरीज को लगने वाले इंजेक्शन मुख्य रूप से तीन प्रकार के होते हैं जो इस प्रकार है : –
पहला – यूरिनरी, इसकी लागत लगभग 20-25 हजार रुपये होती है । इसके बाद दूसरा है – हाइली प्यूरीफाइड, इसकी कोस्ट लगभग 40-50 हजार रुपये तक होती है और तीसरा और अधिक उपयोग किया जाने वाला है – रीकॉम्बीनेंट, इसकी कोस्ट दोनों तरह के इंजेक्शन से ज्यादा है जो करीब 80-90 हजार रुपये के तक हो सकती है। आज के समय में ज्यादातर आईवीएफ सेंटर्स रीकॉम्बीनेंट इंजेक्शन को प्राथमिकता देते हैं, ये इंजेक्शन अच्छे माने जाते हैं। इस इंजेक्षन को शरीर की जीन संरचना के अनुसार तैयार किया जाता है । रीकॉम्बीमेंट में कमी या विकार की संभावना बहुत ही कम होती है। इन इंजेक्शन का शरीर पर कोई दुष्प्रभाव पड़ने की संभावना कम रहती है और अण्डाषय में बनने वाले एग्स की संख्या और गुणवत्ता भी श्रेष्ठ होने की संभावना होती है। कुछ मामलों में इंजेक्शन के साथ दवाइयों की जरूरत भी हो सकती है। आईवीएफ प्रक्रिया के दौरान दवाइयों की जरूरत होती है।
निष्कर्ष
इस प्रकार टेस्ट ट्यूब बेबी ट्रीटमेंट की कोस्ट लगभग एक लाख से एक लाख पचास हजार रूपयों के बीच होती है। आज के समय में कुल मिलाकर आईवीएफ प्रक्रिया के एक चक्र में करीब एक से डेढ़ लाख रूपये खर्च होते हैं । इसकी शुरूआत के समय इसकी कोस्ट ज्यादा थी लेकिन अब काफी कम हो गयी है। आज के समय में विभिन्न टेस्ट ट्यूब बेबी सेंटर्स का बैंकों के साथ टाईअप होता है जिसके तहत आईवीएफ के खर्च को किष्तों में भी चुकाया जा सकता है। टेस्ट ट्यूब बेबी के लिए कपल्स को बड़ी आर्थिक तैयारी करने की जरूरत नहीं होती है।

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