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भीमराव अंबेडकर की जयंती आज, बाबा साहेब के अनमोल विचार युवा के लिए प्रेरणा हैं देश के पहले कानून मंत्री भी थे Dr.B.R.Ambedkar, जानें उनसे जुड़ी 10 अनसुनी बातें

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Bhimrao Ambedkar’s birth anniversary today, Baba Saheb’s precious thoughts are an inspiration for the youth. Dr. B.R. Ambedkar was also the first law minister of the country, know 10 unheard things related to him.

भारत संविधान के जनक, चिंतक, समाज सुधारक और दलित वर्गों के लिए आवाज उठाने वाले बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर का जन्म 14 अप्रैल 1891 को मध्य प्रदेश के महू में हुआ था. इनके पिता का नाम रामजी मालोजी सकपाल और माता का नाम भीमाबाई था.

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भीमराव अपने माता-पिता की 14वीं संतान थे. आज इनकी 133वीं जयंती मनाई जा रही है. भीमराव अंबेडकर की जयंती पर जानते हैं उनके जीवन से जुड़ी 10 महत्वपूर्ण बातें-

भीमराव अंबेडकर का जन्म निचले कुल में हुआ था. इनका परिवार महार जाति का था. इस जाति को समाज में अछूत माना जाता है. ऐसे में भीमराव को बचपन से सामाजिक भेदभाव के साथ कमजोर आर्थिक स्थिति का भी सामना करना पड़ा.

भीमराव अंबेडकर ने 1908 में एलफिंस्टन कॉलेज में दाखिला लिया. इस महाविद्यालय में दाखिला लेने वाले वे पहले दलित छात्र थे.

भीमराव अंबेडकर ने दलितों, निचले वर्ग, मजदूर और महिलाओं पर हो रहे अत्याचार के खिलाफ आवाज बुलंद की और ‘बहिष्कृत भारत’, ‘मूक नायक’ और ‘जनता’ नाम के पाक्षिक और साप्ताहिक पत्र निकालने की शुरुआत की.

बाबा साहेब अंबेडकर आजाद भारत के पहले कानून मंत्री बनें. इतना ही नहीं उन्होंने विश्व का सबसे लंबा लिखित संविधान 26 नवंबर 1949 में तैयार किया. इसे तैयार करने में 2 साल 11 महीने और 18 दिन का समय लगा.

बाल विवाह प्रचलित होने के कारण अंबेडकर का विवाह 1906 में 9 साल की रमाबाई से हुआ. इस समय भीमराव की उम्र 15 साल थी. पहली पत्नी रमाबाई की मृत्यु के बाद उन्होंने सविता से दूसरा विवाह किया.

बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर 9 भाषाओं को जानते थे. इन्होंने देश-विदेश के कई विश्वविद्यालयों से पीएचडी की कई मानक उपाधी प्राप्त की. बाबा साहेब के पास लगभग 32 डिग्रियां थीं.

1951 में संसद में अपने हिंदू कोड बिल मसौदे पर रोके जाने के बाद उन्होंने मंत्रीमंडल पद से इस्तीफा दे दिया. इस मसौदे में उत्तराधिकार, विवाह और अर्थव्यवस्था को लेकर कानून में लैंगिक समानता की बात कही गई थी.

1956 में बाबा साहेब ने हिंदू धर्म को छोड़ बौद्ध धर्म अपना लिया. इनके साथ इनकी पत्नी सविता और लाखों दलितों ने भी बौद्ध धर्म को अपनाया था.

बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर की मृत्यु 06 दिसंबर 1956 को दिल्ली में उनके आवास में हुई थी. वह मधुमेह से पीड़ित थे.

मृत्यु के बाद भीमराव अंबेडकर को 1990 में भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया गया था.

संविधान निर्माता बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर की जयंती 14 अप्रैल को मनाई जाती है। उन्हें संविधान निर्माता इसलिए कहा जाता है, क्योंकि भारतीय संविधान के निर्माण में उनका अमूल्य योगदान रहा। साथ ही दलित समाज के लिए भी बी आर आंबेडकर ने महत्वपूर्ण कदम उठाए।

आंबेडकर का जन्म मध्य प्रदेश के महू में एक छोटे से गांव में 14 अप्रैल 1891 को हुआ था। आर्थिक और सामाजिक भेदभाव का सामना करने वाला बाबा साहेब ने इन परिस्थितियों के सामने हार नहीं मानी और उच्चतम शिक्षा हासिल करने का प्रयास जारी रखा। स्कूल-कॉलेज से लेकर नौकरी तक में उन्हें भेदभाव का सामना करना पड़ा।
उनके संघर्षपूर्ण जीवन और सफलता की कहानी हर किसी के लिए प्रेरणा है। बाबा साहेब भीम राव आंबेडकर ने कई बार मंच से ऐसे भाषण, या विचार व्यक्त किए जिससे प्रेरित होकर युवा जीवन की कठिनाइयों का सामना करने के लिए तैयार हो सकते हैं। डाॅ आंबेडकर की जयंती के मौके पर यहां से उनके प्रेरणादायक विचारों के बारे में पढ़ें।

बाबा साहेब के अनमोल विचार

हिंदू धर्म में, विवेक कारण और स्वतंत्र सोच के विकास के लिए कोई गुंजाइश नहीं है।

बुद्धि का विकास मानव के अस्तित्व का अंतिम लक्ष्य होना चाहिए।

जीवन लंबा होने की बजाये महान होना चाहिए।

शिक्षा जितनी पुरूषों के लिए आवश्यक है, उतनी ही महिलाओं के लिए भी।

कानून और व्यवस्था राजनीतिक शरीर की दवा है

और जब राजनीतिक शरीर बीमार पड़े तो दवा जरूर दी जानी चाहिए।

 

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