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दूसरी बार ली कैबिनेट मंत्री पद की शपथ मोदी सरकार में फिर शामिल हुए अमित शाह,

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Amit Shah took oath as cabinet minister for the second time and joined Modi government again,

लोकसभा चुनाव 2024 में NDA की शानदार जीत के बाद नरेंद्र मोदी ने तीसरी बार प्रधानमंत्री पद की शपथ ली। उनके कैबिनेट में वरिष्ठ BJP नेता अमित शाह को एक बार फिर महत्वपूर्ण स्थान मिला है। चुनावी रणनीतियों के चाणक्य कहे जाने वाले अमित शाह, पिछली सरकार में गृह मंत्री के रूप में अपनी शानदार भूमिका निभा चुके हैं। अमित शाह, नरेंद्र मोदी के करीबी और विश्‍वासपात्र रहे हैं। इस बार भी PM मोदी की कैबिनेट में वे अग्रणी पंक्ति में मौजूद हैं। नई सरकार के एजेंडे को आगे बढ़ाने में उनकी मजबूत भूमिका रहेगी।

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शानदार राजनीतिक करियर

22 अक्टूबर, 1964 को गुजरात के मनसा में जन्मे अमित अनिल चंद्र शाह 16 वर्ष की आयु से ही BJP से जुड़े हैं। बायोकेमिस्‍ट्री की पढ़ाई के दौरान वे पार्टी के छात्र विंग ABVP से जुड़े थे। 2014 में जब उन्हें पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया गया, तब से उनका राष्‍ट्रीय फलक पर उभार शुरू हुआ। उत्तर प्रदेश में पन्‍ना प्रमुख की रणनीति और 2019 में BJP की ऐतिहासिक जीत उनके नेतृत्‍व की मिसाल हैं।

गृह मंत्री के रूप में अहम फैसले

गृह मंत्री के रूप में अमित शाह ने कई महत्वपूर्ण फैसले लिए। इनमें सबसे महत्वपूर्ण जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को निरस्त करना था। इसके बाद जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को दो केंद्रशासित प्रदेशों में विभाजित किया गया। उन्होंने CAA (नागरिकता संशोधन अधिनियम) पारित कराने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिसका उद्देश्‍य पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आए पीड़ित अल्पसंख्यकों को भारतीय नागरिकता प्रदान करना था।

आतंकवाद के खिलाफ सख्त कदम

अमित शाह ने गृह मंत्रालय के तहत आतंकवाद से मुकाबला करने के लिए कड़े कदम उठाए। उनकी नीतियों और फैसलों का दूरगामी प्रभाव देखा गया है। केंद्रीय गृह मंत्री के तौर पर उन्होंने अपने नेतृत्व का लोहा मनवाया।

गांधीनगर से ऐतिहासिक जीत

अमित शाह का गांधीनगर से गहरा नाता है। इस संसदीय सीट से वे विधायक रहे हैं। 2019 में अमित शाह ने यहां से 5.57 लाख वोटों से जीत दर्ज की थी और इस बार 2024 में उन्होंने 7.44 लाख वोटों के अंतर से रिकॉर्ड जीत दर्ज की। लोकसभा चुनाव 2024 के नतीजे NDA के पक्ष में गए हैं और नरेंद्र मोदी और अमित शाह की जोड़ी ने फिर से अपनी अहमियत साबित की है। उनकी रणनीतियों और नेतृत्व ने BJP को एक बार फिर सत्ता में मजबूत किया है।

राजनीतिक परिवारों के कौन लोग हैं जो बने मंत्री

पहली बार मंत्री बने सात राजनेता बीजेपी की गठबंधन सहयोगी पार्टियों से हैं.मंत्री बने जयंत चौधरी पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह के पोते हैं, चिराग पासवान बिहार के सबसे बड़े नेताओं में शामिल रहे दिवंगत रामविलास पासवान के बेटे हैं.वहीं बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर के बेटे और जदयू के सांसद रामनाथ ठाकुर को भी मंत्री बनाया गया है.कांग्रेस से बीजेपी में आए और अपनी सीट हारने वाले रवनीत सिंह बिट्टू पंजाब में ख़ालिस्तानियों के हाथों मारे गए पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह के पोते हैं.वहीं महाराष्ट्र के वरिष्ठ नेता एकनाथ खडसे की बहू रक्षा खडसे को भी सरकार में जगह दी गई है.2021 में कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में आए जितिन प्रसाद को भी मंत्री बनाया गया है. जितिन प्रसाद मनमोहन सरकार में भी मंत्री रहे हैं. जितिन प्रसाद कांग्रेस नेता जितेंद्र प्रसाद के बेटे हैं.

वहीं केरल में पहली बार बीजेपी के लिए लोकसभा सीट जीतने वाले अभिनेता सुरेश गोपी को भी मंत्री बनाया गया है.
नई सरकार में 27 मंत्री अन्य पिछड़ा वर्ग, 10 मंत्री अनुसूचित जातियों, 5 अनुसूचित जनजातियों और 5 अल्पसंख्यक समूहों से हैं. हालांकि भारत के सबसे बड़े अल्पसंख्यक समूह यानी मुसलमानों का प्रतिनिधित्व सरकार में नहीं है. नई सरकार में एक भी मुसलमान मंत्री नहीं है.शपथ समारोह में सात देशों के नेताओं के अलावा पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और फ़िल्म और उद्योग जगत समेत अलग-अलग क्षेत्रों की कई हस्तियां मौजूद रहीं. भारत के चीफ़ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ भी समारोह में मौजूद रहे.गठबंधन सहयोगी टीडीपी के नेता चंद्रबाबू नायडु, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे, एनसीपी नेता अजीत पवार और जनसेना पार्टी के नेता पवन कल्याण भी शपथ ग्रहण समारोह में उपस्थित रहे.

मंत्रालयों का अभी नहीं हुआ है बंटवारा

केंद्र सरकार के मंत्रियों ने अभी सिर्फ़ शपथ ली है, उन्हें पोर्टफ़ोलियो नहीं दिए गए हैं. आमतौर पर शपथ ग्रहण के 48 घंटों के भीतर विभाग बांट दिए जाते हैं.इस बार बीजेपी के पास अपने दम पर बहुमत नहीं है और वह सरकार चलाने के लिए गठबंधन सहयोगियों पर निर्भर है, ऐसे में माना जा रहा है कि गठबंधन सहयोगी अपनी पसंद के विभाग लेने के लिए बीजेपी पर दबाव बना सकते हैं.राजनीतिक विश्लेषक मान रहे हैं कि सबसे अहम यही है कि सरकार में किस पार्टी को क्या विभाग मिलता है.

वरिष्ठ पत्रकार अदिति फणनीस कहती हैं, “अधिकतर गठबंधन सहयोगी यही देख रहे हैं कि हमें क्या मिलेगा. चूंकि ये सरकार गठबंधन सहयोगियों पर निर्भर है और उनकी मदद के बिना सरकार गिर जाएगी, ऐसे में अब बीजेपी में मंथन इसी बात पर हो रहा होगा कि किस पार्टी को क्या विभाग दिए जाएं.”
हालांकि ये माना जा रहा है कि गृह, रक्षा, वित्त और विदेश जैसे अहम मंत्रालय भाजपा अपने पास ही रखेगी.

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