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शिवनाथ नदी से कौन कर रहा रेत की चोरी…आखिर रेत माफियाओं की किससे है सेटिंग ?.. रेड से पहले कौन देता है जानकारी ?… सुशासन के समक्ष प्रशासन भी हुआ लाचार

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मस्तूरी – विकासखंड मस्तूरी क्षेत्र के ग्राम पंचायत भिलौनी में इनदिनों जमकर शिवनाथ नदी का सीना छलनी किया जा रहा है। लेकिन खनिज विभाग के अफसरों को कार्यवाही की फुर्सत नहीं है। फुर्सत मिले भी कैसे आखिर सारा कारोबार मिलीभगत से जो चल रहा है। सूत्रों की माने तो क्षेत्र के कुछ टुटपुँजिया नेताओं ने रेत माफिया की जगह ले ली है और माइनिंग अमले की मिलीभगत से धड़ल्ले से रेत निकाल रहे है। जनप्रतिनिधि माफिया के भेष में इस कदर रम गए है। कि जैसे अवैध रेत उत्खनन का तो इन्हें परमिट ही मिल गया हो.! जानकारी के अनुसार जिला खनिज विभाग जानकारी से रेत का काला कारोबार ग्राम भिलौनी में दिन-रात धड़ल्ले से चल रहा है। अफसरों और अधिकारियों को सब जानकारी होने के बाद भी रेत का खेल जारी है। जिसके मुख्य सूत्रधार स्थानीय नेता के खास है जो नदी को अपनी सम्पत्ति मानकर बेधड़क होकर जीवन दायनी शिवनाथ नदी के अस्तित्व को ही खत्म करने के उद्देश्य से बेतहाशा खुदाई करवा रहे है। खनन माफिया के रूप में उभर रहे इन लोगो का इतना प्रभाव है कि उनकी गाड़ी भी अफसर पकड़ने में कतराते हैं, शिवनाथ नदी पर रात 12 बजे के बाद से लेकर सुबह 6 बजे तक रेत निकाली जा रही है।

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साथ ही पोकलेन मशीन के मदद से दिन दहाड़े भी रोजाना सैकड़ों ट्रिप रेत निकालकर चोरी छिपे रेत बेची जा रही है। सूत्रों की माने तो अवैध रूप से यह सब जानकारी जिला खनिज विभाग के पास होने के बाद भी कोई कार्यवाही नहीं की जाती यदि इन अफसरों के मोबाइल और लोकेशन ट्रेस किये जाए तो पूरे मामले का खुलासा हो सकता है, कि किन-किन के फोन आते हैं और कौन किस से जुड़ा है। लेकिन इस ओर जिले के आला अधिकारियों को ध्यान देने की फुर्सत ही कहा। तभी तो गर्मी के कहर और सालो से रेत माफियों के करम के फलस्वरूप जिले की नदियो में जल का स्तर बचा ही नही है। जिसका फायदा अब रेत घाटों के अलावा नदी के बीचों बीच रेत माफिया जमकर उठा रहे है। बहरहाल जरुरत है खनिज विभाग के जिम्मेदार इस ओर कोई कड़े कदम उठाये ताकि रेत माफियाओं पर नकेल कसा जा सके।

 

छोटी मोटी कार्यवाही कर थपथपाई जाती है पीठ..

 

खनिज विभाग के अधिकारी और अमला डंपर और ट्रकों की अनदेखी कर कभी कभार कोई ट्रेक्टर ट्राली पकड़ कर कार्यवाही का ढिंढोरा पीटकर शासन और जनता में यह संदेश देने की कोशिश करते हैं कि वे कितने सक्रिय हैं लेकिन वास्तव में यह सक्रियता औपचारिक कार्यवाही तक ही नजर आती है। अंचल के नदियों में रात के अंधेरे में रेत निकाली जा रही है और उसे उजाला होने के पहले ही लोड करके गंतव्य के लिए रवाना कर दिया जाता है। अवैध रेत के कारोबार में ज्यादातर बड़े लोग माफिया में शामिल है, जिनकी खनिज विभाग से मिलीभगत जग जाहिर है। यही कारण है कि सूचना और जानकारी होने के बाद न तो अवैध रेत खदानों पर रेड डाली जाती है और न ही अवैध रेत ढो रहे वाहनों को पकड़ा जाता है।

 

सभी का हिस्सा तय…बराबर होता है बंटवारा

सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार रेत माफिया जिस तरह से खुलेआम प्रशासन के नाक के नीचे शिवनाथ नदी से दिन और रात भारी भरकम मशीन से रेत निकाल रहे है उन्हें प्रशासन से कोई डर नहीं है जानकार तो यह भी बता रहे है कि इस अवैध खनन से जो भी आमदनी होती है वो सबमे बांटा जाता है। खैर सरकार को चाहिए कि ऐसे व्यक्तियों पर जांच कर उचित कार्यवाही करे।

 

15 जून से सभी रेतघाट बंद शासन ने दिया आदेश

15 जून से जिले एवं प्रदेश के सभी रेत घाटों को 15 अक्टूबर तक बंद करने शासन ने आदेशित किया है अब देखना यह होगा कि शासन के इस आदेश को कितने रेत घाट वाले पालन करते हैं और नियम विरुद्ध खनन करते पाए जाने पर उनके खिलाफ शासन क्या कार्रवाई करती है या सिर्फ दिखावा करती है।

मस्तूरी क्षेत्र में रेत खनन के विषय पर मस्तूरी एसडीएम अमित सिन्हा से जानकारी लेने पर उन्होंने कहा कि जानकारी होने पर नायब तहसीलदार को मौके पर भेजा था जिसमें पोकलैंड को जप्त कर पचपेड़ी थाने के सुपुर्द कर दिया है।
नायब तहसीलदार अप्रतिम पांडेय ने कहा कि उच्च अधिकारी के निर्देश पर मैं मौके पर गया था जहां पर पोकलैंड थी उसे कब्जे में लेकर पचपेड़ी थाना के सुपुर्द किया वहा अन्य कोई गाड़ियां नहीं मिली

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